शनिवार, 27 सितंबर 2025

How to make Money with AI ? - Free Step by Step Guide

======================================================================================= दुनिया में जब भी कुछ पैराडाइम शिफ्टिंग चेंज आता है, टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट आता है। नेचर ऑफ जॉब्स होती है वो चेंज होती है। इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन आया था उस टाइम पे लोगों को लगा था कि मजदूरों की सबकी जॉब चली जाएगी क्योंकि मशीन्स आ गई है। स्टीम इंजन आ गया है। हुआ ये कि पहला इलेक्ट्रिक बल्ब बनने में 100 साल लग गए। एक्सप्लोर कर करके ह्यूमैनिटी ने सीखा है कि बिजली से क्या-क्या जिसने पहले देखा होगा कि आसमान में बिजली कड़कती है। उसने कभी नहीं सोचा होगा उसको यूज़ करके आप घोड़े को रिप्लेस कर सकते हो। आप एक कार बना सकते हो। मार्क ज़करबर्ग इज हायरिंग फॉर द एआई टीम इन मेटा वहां पे जो एवरेज सैलरीज ऑफर कर रहा है वो 10 मिलियन ऑफर कर रहा है। मेटा इज हायरिंग 85 करोड़ पर ईयर। तो क्या वो एक्सपोज़र हम व्यूअर्स तक पहुंचा सकते हैं कि 5 लाख से 5 करोड़ की जर्नी होती कैसे? स्केलर स्कूल ऑफ़ टेक्नोलॉजी करके हम चलाते हैं अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम चार साल का। वहां पे हमारा थीसिस तो यही है कि प्रैक्टिशनर्स को ही पढ़ाना चाहिए। इट्स लाइक अगर रोहित शर्मा बैटिंग सिखा रहा है वर्सेस कोई पीटी टीचर बैटिंग सिखा रहा है वो वाला डिफरेंस अगर मुझे एक एक मशीन से बात करूं उनकी जो भाषा होती है वो बोली गलत क्या जा सकता है एआई में फिलॉसोफीस हैं एआई के अंदर सो देयर इज़ समथिंग कॉल्ड एस एजीआई एजीआई इज़ व्हेन मशीनंस डेवलप कॉन्शियस एंड दे बिहेव स्टार्ट बिहेविंग लाइक अ ह्यूमन बीइंग क्यों कहते हैं कि इंडिया के नेक्स्ट मिलेनियर्स वो होंगे जो आज एआई को समझ रहे हैं क्योंकि आप ये देखो कि एक टाइम पे रियलस्ट स्टेट का बूम आया। जिन लोगों ने टाइम पे शुरू किया था वो मिलेनियर्स बने। फिर इंटरनेट रेवोल्यूशन आया। जिन लोगों ने टाइम पे जंप किया था वो आज के मिलेनियर्स मिलेनियर्स हैं। फिर सोशल मीडिया उसमें लोगों ने अपने बिजनेस और ब्रांड बनाए। अब बारी है एआई की। आज हर कोई एआई की बात तो कर रहा है लेकिन 90% लोगों को यह पता ही नहीं है कि एआई में एक्चुअली में ओपोरर्चुनिटी कहां पे है। कौन सी स्किल्स सीखनी है, कैसे करियर बनाना है, कैसे इनकम जनरेट करनी है। आज के जो हमारे गेस्ट हैं वो किसी टाइम पे मेटा में मार्क जुकरबर्ग की टीम का पार्ट थे। पर उनको नजर आया कि इंडिया में टैलेंट तो है पर स्किल एक बहुत बड़ा गैप है। यूएस की टॉप कॉर्पोरेट जॉब छोड़कर इंडिया में आकर उन्होंने बनाया स्केलर। तो आज हम स्केलर के कोफाउंडर अंशुमन से जानेंगे कि एआई में एक्चुअली में ओपोरर्चुनिटी कहां पर है। उस ओपोरर्चुनिटी में कितना स्कोप है, कैसा स्कोप है। स्टेप बाय स्टेप कैसे आप एआई की इस वेव को राइड कर सकते हो और कैसे एक अच्छी इनकम बना सकते हो। हमने एजुकेशन सिस्टम भी डिस्कस किया कि क्यों हमारा सिस्टम उस एआई के रेवोल्यूशन के लिए रेडी नहीं है और हमने अंशु मंसूर की जर्नी भी जानी। यह पॉडकास्ट एक ब्लूप्रिंट है उन सभी लोगों के लिए जो टेक में कुछ बड़ा करना चाहते हैं। तो अगर आप सीरियस हैं अपने करियर के बारे में तो यह एपिसोड आपके लिए गेम चेंजर हो सकता है। वार्म वेलकम अंशुमन हमारे पॉडकास्ट पे। सो एक्साइटेड टू हियर अ लॉट अबाउट एआई, अबाउट टेक, अबाउट योर जर्नी। तो बहुत कुछ सुनने के लिए बहुत एक्साइटेड हूं। अ एक थॉट मैं आपके साथ शेयर कर रहा हूं जो मेरे माइंड में तब तब से चल रहा था जब से हमने सोचा था कि आपके साथ बैठेंगे कि एक तरफ हम सुन रहे हैं कि इंटरनेट पे आज तक इतना बड़ा रेवोल्यूशन नहीं आया जो एआई की वजह से आ रहा है। वन ऑफ द बिगेस्ट रेवोल्यूशन हम एक्सपीरियंस कर रहे हैं और करने वाले हैं। बहुत सारी ओपोरर्चुनिटीज एआई की वजह से आने वाली हैं। दूसरी तरफ एक और चीज हम बहुत फ्रीक्वेंटली सुन रहे हैं कि एआई जॉब्स खाने वाला है। सबके मन में एक फियर है कि मेरी जॉब एआई खा जाएगी। फ्यूचर क्या होगा जब जॉब्स ही नहीं होंगी। हम्। सो एज एन एक्सपर्ट आप इतने लोगों को इसमें मेंटोर करते हो। आप एक कैटालिस्ट हो। व्हाट इज ग्राउंड रियलिटी? हो क्या रहा है एआई की दुनिया में? क्या आने वाला है? क्या जाने वाला है? हां मतलब मैं एक स्टेप पीछे लेता हूं। देखिए दुनिया में जब भी कुछ पैराडाइम शिफ्टिंग चेंज आता है जो कि टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट आता है तो टिपिकली जो नेचर ऑफ जॉब्स होती हैं वो चेंज होती हैं। इंडस्ट्रियल एवोल्यूशन आया था। उस टाइम पर लोगों को लगा था कि मजदूरों की सबकी जॉब चली जाएगी क्योंकि मशीनंस आ गई हैं। स्टीम इंजन आ गया है। हुआ यह कि द नेचर ऑफ जॉब चेंज्ड। द नेचर ऑफ़ द काइंड ऑफ़ जॉब बिकम बेटर। डॉट बूम आया था जब इंटरनेट इन्वेंट हुआ था। इंटरनेट लोगों ने यूज़ करना स्टार्ट किया था। उसकी वजह से ना जाने कितने लोग मिलेनियर बने। Google ने जब पहली बार आईपीओ किया था तो बहुत सारे ऐसे एंप्लाइजज़ थे जिनके पास इतना पैसा हो गया था। उन्होंने जाके आइलैंड खरीद लिया था। अ सिलिकन वैली में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो कि 10 से 100 मिलियन टाइप का वेल्थ जनरेट किया उन्होंने। बिकॉज़ कोई कंपनी स्टार्ट करी या फिर किसी बड़ी कंपनी के पार्ट थे बहुत इनिशियली जिसकी वजह से ये सब हुआ। एआई में भी कुछ सिमिलर ही हो रहा है। मेरा एक फ्रेंड है सिलिकॉन वैली में वो Instagram में काम करता था। ही वाज जो Instagram में आप फीड देखते हैं ना। आपने देखा होगा जब आप रील्स देखते हो थोड़े टाइम ज्यादा रहते हो रील पे तो अगली रील चेंज हो जाती है तो वो उसी पे काम करता है एमएल रिकमेंडेशन तो अभी-अभी उसने मेटा छोड़ के ही स्टार्टेड अपाइंग एंड मतलब द सैलरी नंबर्स आर सो माइंड मॉगलिंग उसको जो अभी ऑफर मिला है वो 55 मिलियन डॉलर का मिला है। $5 मिलियन का व्हिच इज 40 करोड़ का और करोड़ पर ईयर पैकेज पर ईयर पर ईयर अभी-अभी एक आज ही एक न्यूज़ आई है कि मार्क ज़करबर्ग इज़ हायरिंग फॉर द एआई टीम इन मेटा एंड वहां पे जो एवरेज सैलरीज ऑफर कर रहे हैं वो 10 मिलियन ऑफर कर रहे हैं जो कि 85 करोड़ पर ईयर काइंड ऑफ़ सैलरी है। सो मेटा इज हायरिंग 85 करोड़ पर ईयर के पैकेज पे। पैकेज पे मैं ये इसलिए नहीं बोल रहा हूं कि आप पैसे के पीछे भागो। मैं आपको ये बताना चाह रहा हूं कि वहां पे यूजुअली सैलरी क्या होती है? सैलरी ये होती है कि आपके पास सप्लाई कितना है और डिमांड कितना है। उसके बीच में गैप जितना ज्यादा होगा हम उतना ज्यादा सैलरी डिस्रोपोशनेट हो जाती है। ये वही दिखाता है कि अभी एक तो पैराडाइम शिफ्ट आया है कि चीजें एआई एंड मशीन लर्निंग की तरफ जा रही हैं। आपको ज्यादा ज्यादा टैलेंट चाहिए वहां पे और है नहीं टैलेंट। हम और वो डिस्पैरिटी की वजह से यह डिस्रपोशननेट सैलरी मतलब ये ऐसी ऐसी सैलरी है कि आप एक साल काम कर लोगे आपकी लाइफ यू आर फाइनेंसियली इंडिपेंडेंट फॉर द रेस्ट ऑफ़ योर लाइफ राइट मैं इसको और डिटेल में जानना चाहूंगा लेकिन बीच में आपने जो बोला कि डिस्पैरिटी है राइट के टैलेंट चाहिए बट टैलेंट है नहीं किस तरह की डिस्पैरिटी है तो देखिए टेक में एक मिसनमर है कि मुझे बस कोडिंग आती है तो फिर मैं एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन गया। कंप्यूटर साइंस इज़ अ लॉट मोर देन दैट। एंड विद इन कंप्यूटर साइंस बहुत सारे स्पेशलाइजेशंस होते हैं। हम तो अगर मैं बहुत अच्छा डेवलपर हूं तो मैं जाके प्रोडक्ट्स बनाता हूं। व्हिच इज़ आल्सोेंट। अगर मैं इन चीजों में बहुत अच्छा हूं कि मैं ऐसे सिस्टम्स बना सकता हूं जो कि बहुत हाई स्केल पे चल सकते हैं। जैसे फॉर एग्जांपल हॉटस्टार है हम Hotstar में हम जब देखते हैं मैच तो काफी बार दिखता है कि 10 करोड़ 10 करोड़ चारप करोड़ तो चार पांच करोड़ हां चारप करोड़ टाइप फाइनल में शायद 10 करोड़ भी चला गया चारप करोड़ लोग साथ में मैच देख रहे हैं वो दैट्स अ वेरी हाई स्केल उस स्केल पे भी चीजें चला पाना अह उसके लिए बड़े अलग टाइप के इंजीनियर्स लगते हैं। तो वो एक स्पेशलाइज़ेशन होता है। वो भी बहुत इंपॉर्टेंट है। वेरी सिमिलरली एआई मशीन लर्निंग के अंदर स्पेशलाइजेशन दो तरीके के होते हैं। एक होते हैं आपके मशीन लर्निंग इंजीनियर्स जो कि वो सिस्टम्स बना पाएं जिस पे कि आपके मशीन लर्निंग के जॉब्स चलते हैं। इंफ्रा जिसको बोलते हैं। मशीनंस हो गई वो जिनके थ्रू इंफॉर्मेशन फ्लो हो के इन सिस्टम्स तक पहुंच रहा है। एंड दूसरे होते हैं जो कि साइंटिस्ट टाइप के होते हैं जो कि मॉडल्स ही बनाते हैं। एक्चुअली इन सारे वर्टिकल्स पे जब आप एकदम डीप जाते हो तो टैलेंट कम हो ही जाता है। है ही नहीं टैलेंट वहां पे इन मोस्ट ऑफ़ दीज़ वर्टिकल्स। एंड हेंस इन मोस्ट ऑफ़ दीज़ वर्टिकल्स द मोमेंट यू गो डीप सैलरीज बहुत हाई हो जाती हैं। अ तो वो बात बिल्कुल सही है कि एआई की वजह से नेचर ऑफ़ जॉब चेंज होगा। हम मुझे अपने डे टू डे में भी दिखता है। द खुद के काम में भी अगर मैं एआई यूज़ कर रहा हूं तो फिर देन खुद का काम मैं ज्यादा जल्दी कर सकता हूं। तो वो तो चेंज होगा ही होगा। लेकिन एट द सेम टाइम ये इस टाइप के नए जॉब्स क्रिएट होंगे। इनकी डिमांड बढ़ेगी। लोग फॉर एग्जांपल बोलते हैं अरे बट ये टाइप की जॉब्स तो सिर्फ ओपन एआई, मेटा, Google इन सब में होगी। लेकिन एक और पैटर्न हमें क्या दिख रहा है कि अभी एआई सिस्टम सबको चाहिए। हम जितने भी बड़े-बड़े बैंक्स होते हैं, जितने बड़े-बड़े फाइनेंसियल इंस्टीट्यूट्स होते हैं, इंश्योरेंस कंपनीज़ होती हैं, मेडिकल इंस्टट्यूट्स होते हैं, उनको ये चाहिए कि ये डाटा हमारे प्रिमिससेस से बाहर ना जाए। हम तो फिर उनको अलग से एआई इंजीनियर चाहिए जो कि ये डेप्लॉयमेंट्स उनके लिए बनाएं। ओके। सो वो चैट जीपीटी जैसी चीज़ यूज़ नहीं करेंगे। वो अपना एक चैट जीपीटी बनाएंगे। इंटरनल एआई उनका हो। हां बिलकुल। हां हां। तो तो इस वजह से आपको ऐसे लोग भी बहुत सारे चाहिए होंगे। हम इन अ वे व्हाट आई एम सेइंग इज कि कंप्यूटर साइंस में पहले आप अगर बहुत सुपरफिशियल लेवल पे भी एक कोडर थे हम तो भी काम चल जाता था। बिकॉज़ इतनी सारी चीजें बनानी है। हम और कौन बनाएगा? तो इसलिए फॉर एग्जांपल हमारे इकोसिस्टम में बहुत सारी सर्विस कंपनीज़ हुई बिकॉज़ बनाना है। मैन फॉर पावर आप डाल दो बन जाएगा कुछ ना कुछ वो धीरे-धीरे कम होगा एंड देंस ऑफ़ स्पेशलाइजेशन एंड गोइंग डीप वो बढ़ेगा बढ़ेगा राइट आई गेट इट मैं इस चीज पे ना लेटर ऑन जरूर आऊंगा जो हमने गैप की बात की थी आई थिंक जो डिमांड सप्लाई है उसका रूट क्या है उसको हम जरूर डिस्कस करेंगे सो आई हैव टेकन अ नोट था कि ये मिस ना हो हमसे बट हम ओपोरर्चुनिटी की तरफ बात कर रहे थे तो वापस वहीं पे आ रहा हूं आई अंडरस्टैंड के हमने पैकेजेस की बात करी थी 85 करोड़ 4050 करोड़ का पैकेज एक बार के लिए अगर हम थोड़ा सा वहां पहुंचे के जो व्यूअर्स ये वीडियो देख रहे हैं इस पॉडकास्ट को देख रहे हैं दे अंडरस्टैंड के एआई एक रेवोल्यूशन है कुछ जॉब्स जानी है कुछ जॉब्स क्रिएट होनी है राइट मैंने कभी पढ़ा था शायद 25 लाख या नहीं शायद 25 मिलियन जॉब्स आर अबाउट टू बी क्रिएटेड कुछ इस तरह का नंबर मैंने पढ़ा था अभी सो लाखों जॉब्स क्रिएट होनी है एआई की वजह से हम अब अगर कोई ये देख रहा है और वो इस रेवोल्यूशन का पार्ट बनना चाहता है। इस रेवोल्यूशन में वो भी अपने पैकेजेस को इंक्रीस करना चाहता है। वो भी एक जैसे आपने कहा उस टाइम जो डॉट में आया था वो आज मिलेनियर्स बिलेनियर्स हैं। तो फ्यूचर बिलेनियर्स शायद वो होंगे जो आज एआई को समझ जाएंगे। राइट? सो यहां पे आप हमारी हेल्प कर सकते हो। व्यूअर्स की हेल्प कर सकते हो कि क्या उनके लिए स्टेप बाय स्टेप प्लान हो सकता है? क्या एक ब्लूप्रिंट जैसी चीज हो सकती है? कि अभी हमें कोई आईडिया नहीं है। हम राइट? वी आर थिंकिंग हमें कौन सा करियर डिसाइड करना है या ट्रांजिशन लेनी है तो क्या हमारे स्टेप्स होने चाहिए सो दैट हम इस एआई गोल्ड रश का पार्ट बन सके जी मैं बिल्कुल अपने साइड से जितना पता है मैं बताता हूं लेकिन उसके पहले मैं एक चीज ये बोलना चाहता हूं कि इन सबके लिए बहुत इंपॉर्टेंट सबसे इंपॉर्टेंट पैरामीटर होता है क्यूरियोसिटी जैसे कुछ लोगों को ऐसा लगता है ना कि मैं सोचूंगा कुछ आईडिया आ जाएगा कुछ बना दूंगा बढ़िया कंपनी बन जाएगी यूजुअली आप देखेंगे तो जो बहुत सक्सेसफुल कंपनीज़ बनी है इन द पास्ट हम वो उन लोगों ने बनाई है जो कि उसी फील्ड में कुछ डीप घुस के कर रहे थे। तो बिकॉज़ आप इतना करते हो, इतना सीखते हो तो फिर आपको कुछ ऐसी इनसाइट आती है जो बाकियों को नहीं आती है। एंड इसलिए चीजें बनती हैं। राइट? जैसे लारी पेज ने Google सर्च बनाया था। वो इसलिए बनाया था बिकॉज़ वो सर्च में पीएचडी कर रहे थे। हम एंड ही हैड डिवोटेड ह लाइफ टू टू द प्रॉब्लम ऑफ़ सर्च। एंड उससे कुछ इनसाइट्स निकल के आई जिनसे कि Google सर्च बन गया। हम तो डेप्थ इन एनीथिंग एंड क्यूरियोसिटी इन एनीथिंग इज द मोस्टेंट थिंग। उसके बाद ये सब चीजें होती हैं। जैसे हिमेश मैं आपको बोलूंगा कि चलो बैठ के पॉडकास्ट बनाओ। आपका इंटरेस्ट नहीं होगा। आपको क्यूरियोसिटी नहीं होगी। आप जाके खुद से अगर 10 लोगों को नहीं देखते हो तो फिर आप नहीं अच्छा पॉडकास्ट बना सकते। तो वो क्यूरियोसिटी सबसे इंपॉर्टेंट है। मैं रीज़न ये इसलिए कॉल आउट कर रहा हूं बिकॉज़ काफी बार मैं ये देखता हूं कि मैं रोड मैप बनाता हूं। लोगों को इंटरेस्ट नहीं भी होता है तो भी चलो बोला गया है यहां पैसा है कर लेते हैं वो लेट्स नॉट डू दैट राइट वरना वो इमोशनल अटैचमेंट नहीं आएगी इंक्लिनेशन नहीं आएगी पैशन नहीं आएगा अगर कसिटी नहीं होगी बस करना है क्योंकि कुछ होने वाला है तो वो लॉन्ग टर्म सस्टेन नहीं होगा वेरी वेल सेड दूसरा ये है कि एआई भी ऐसा फील्ड है ना जो कि अभी इवॉल्व हो रहा है जैसे आप देखेंगे तो जब बिजली का आविष्कार हुआ था इलेक्ट्रिसिटी तो इलेक्ट्रिसिटी का आविष्कार हुआ था 1750 में पहला इलेक्ट्रिक बल्ब बनने में 100 साल लग गए और एक्सप्लोर कर करके ह्यूमैनिटी ने सीखा है कि बिजली से क्या-क्या हो सकता है। हम जिसने पहले देखा होगा कि आसमान में बिजली कड़कती है। उसने कभी नहीं सोचा होगा उसको यूज़ करके आप घोड़े को रिप्लेस कर सकते हो। आप एक कार बना सकते हो। राइट? वो 100 200 साल के एक्सप्लोरेशन के बाद आया। हम एआई में भी अभी हमें बस हमने स्क्रैच किया है टू अंडरस्टैंड कि अगर एक मशीन जो अब इज इंटेलिजेंट नाउ। आज तक तो मैं मशीन को बताता था तुम ये करो। अब मशीन भी वापस एक रिस्पांस देने लगी। पहली बार ऐसा हो रहा है। तो अब उससे क्या-क्या पॉसिबल हो सकता है वो हम अभी डिस्कवर करेंगे। हो सकता है 150 साल नहीं लगेगा। 5 साल लगेगा, 10 साल लगेगा, 15 साल लगेगा। लेकिन वो डिस्कवर करने के लिए भी बहुत सारी क्यूरोसिटी चाहिए। हम आप किसी डोमेन में बहुत डीप जाके जब काम करना स्टार्ट करते हो तो आपको समझ में आता है वो यहां पे भी एआई लगा सकते हैं जो मैंने सीखा था। हम तो व्हाट आई एम ट्राइंग टू से इज़ कि अभी मैं रोड मैप बताऊंगा। हम्म। लेकिन वो रोड रोड मैप तभी इफेक्टिव है जब आप यह ना मानो कि आपको सब कुछ कोई आके बताएगा। आप खुद से बहुत ज्यादा एक्सप्लोर करते हो। बिकॉज़ आप क्यूरियस हो। जेन्युइनली क्यूरियस हो कि ये चीज चलती कैसे है? ये चीज होती कैसे है? आप जब वो जितना ज्यादा करोगे आपको उतने ज्यादा आईडियाज आएंगे। आप उतना ज्यादा एआई को सही जगह अप्लाई कर पाओगे। राइट? सो चुल होनी चाहिए। होना बहुत जरूरी है। फाउंडेशन है। अब अगर वो क्लियर है तो उसके बाद क्या होता है कि देखिए साइंसेस इंपॉर्टेंट है। मतलब फॉर कंप्यूटर को कंप्यूटर साइंस इसलिए बोला जाता है बिकॉज़ बेसिक मैथमेटिक्स इंपॉर्टेंट है। अंडरस्टैंडिंग की दुनिया चलती कैसे है? थोड़ा सा इंपॉर्टेंट है। तो जो आपको स्कूल में मैथ्स साइंस पढ़ाया जाता है वो अभी भी इंपॉर्टेंट है। बहुत बड़ा सवाल होता है कि यार इसका मैं फ्यूचर में क्या करूं? क्या करूंगा? तो ये करोगे। हां। अ केमिस्ट्री मे बी नॉट बट वो भी मैं बताता हूं केमिस्ट्री में क्यों बोलता हूं। देखिए फिजिक्स और मैथ्स में कैसा होता है कि आपने कुछ रूल्स सीखे हैं। बाकी रूल्स रूल्स आप एक्स्ट्रा पोलेट करके खुद समझ सकते हो। हम केमिस्ट्री में जितने ज्यादा रूल्स होते हैं उससे ज्यादा एक्सेप्शनंस होते हैं। तो तो केमिस्ट्री प्रोब्ली डजंट अप्लाई बट एवरीथिंग एल्स। हम हम कैसे इसको डिवाइड कर सकते हैं कि एआई या एआई के अंदर अगर अभी ब्रॉडली मैं एआई एक सब्जेक्ट लेके चल रहा हूं तो इसके अंदर क्या-क्या फील्ड्स हैं जो आने वाले टाइम पे ग्रोइंग है जिसके बारे में कोई एक्सप्लोर कर सकता है हम तो हाउ डू वी डिफाइन मतलब हम तो देखिए ब्रॉडली दो तरह की फील्ड्स होती हैं। मशीन लर्निंग बोलते हैं, डीप लर्निंग बोलते हैं। और डीप लर्निंग के अंदर भी नाउ देयर आर मल्टीपल सेग्रगेशन। मैं थोड़ा सा हाई लेवल ओवरव्यू देता हूं आपको। मशीन लर्निंग क्या है कि अगर वैसे मैं आपको बहुत सारे डाटा सेट में सैंपल दिखाऊं जैसे मैं आपको बताऊं देखो यह पिक्चर है यहां पे ये खरगोश है और ऐसे मैं बहुत सारी पिक्चर दिखा रहा हूं जिसमें खरगोश है हम तो अगर मैंने मशीन को बार-बार ये दिखाया है और फिर मैं एक ऐसी फोटो दिखाऊं जिसमें शायद खरगोश है बताऊं कि बताओ उसमें खरगोश है कि नहीं है इफ द मशीन कैन डिटेक्ट कि हां इसमें खरगोश है तो दैट्स मशीन लर्निंग कि मशीन इज लर्निंग फ्रॉम पैटर्न्स दैट्स द वे वी आल्सो लर्न राइट सो दैट्स मशीन लर्निंग कि आप बहुत सारा ट्रेनिंग डेटा देते जिस आप सीखते हो थ्रू द ट्रेनिंग डाटा एंड देन फिर नए डाटा पे आप अप्लाई करते हो। वेरी सिमिलरली कुछ प्रेडिक्टिव एल्गोरििदम्स होते हैं। जैसे कि जैसे Amazon है। हम अब Amazon के लिए सबसे बड़ी प्रॉब्लम क्या है कि मुझे टाइम ऑफ डिलीवरी ऑफ़ अ प्रोडक्ट मिनिमाइज करना है। हम जैसे आपने लैपटॉप ऑर्डर किया। आपके पास लैपटॉप अगर एक ही दिन में आ जाएगा तो आप बड़े खुश हो जाओगे Amazon से। अगर वो 20 दिन लगेंगे तो आप Amazon से दुखी हो जाओगे। तो Amazon के पास ये हमेशा से ये प्रॉब्लम है कि मेरे पास जो सामान पड़ा हुआ है वो तो किसी रैंडम शहर में है। हम हम बोर में कोई ऑर्डर कर रहा है या गुड़गांव में कोई ऑर्डर कर रहा है मैं उस तक जल्दी कैसे पहुंचाऊं। तो वहां पे जो एक एल्गोरिदम लगाया जाता है व्हिच इज प्रेडिक्टिव एल्गोरिदम इज कि अगर मुझे पैटर्न में यह दिखता है कि MacBook Air गुड़गांव में हर दिन पांच लोग तो करते ही ऑर्डर हम तो फिर मैं वो पांच लैपटॉप पहले से ही शिप कर दूंगा ताकि जिस दिन आप ऑर्डर कर रहे हो उस दिन वो लैपटॉप लैंड हो रहा है। राइट? तो आपके लिए वो लैपटॉप तुरंत पहुंच गया। वो लेकिन हुआ ऐसे कि मैंने प्रेडिक्ट किया था कि इतने लैपटॉप तो चाहिए होंगे गुड़गांव में इस दिन। राइट। एनी प्रेडिक्टिव एल्गोरिदम फॉर एग्जांपल बहुतेंट है। जैसे ग्रोसरीज होती हैं। ग्रोसरीज आर पेशेबल आइटम्स खराब हो जाती है ग्रोसरी अगर आप नहीं बेचो तो वहां पे प्रेडिक्ट करना पड़ता है कि डिमांड कितनी आएगी। हम एंड ये मतलब हमारे जितने भी क्विक कॉमर्स रेगुलर कॉमर्स इन सब में ये प्रेडिक्ट एल्गोरिदम चलता है। सो बेसिकली लाखों करोड़ों का रेवेन्यू लॉस या रेवेन्यू गेन इन एल्गोरििदम्स पे डिपेंड करता है। डिपेंड करता है। राइट? अगर एक चीजें खराब हो गई पड़ी मतलब खरीद ली ग्रोसरी खरीद ली और वो पेरिश हो रही है एक्सपायर हो रही है तो वो लॉस है लॉस है बट अगर वो हम समझ गए कितनी खरीदनी है और कितनी देर में मूव करेगी इट इज अ गुड रेवेन्यू राइट वहां पे प्रॉफिट लॉस के लिए सिर्फ सिर्फ और सिर्फ वेस्टेज इज दी बिगेस्ट पैरामीटर पैरामीटर तो ये आपकी मशीन लर्निंग की फील्ड है वेरी सिमिलरली डीप लर्निंग की फील्ड होती है जिसके अंदर न्यूरल नेटवर्क्स हैं बट उसके अंदर स्पेशलाइजेशनंस होते हैं जैसे कि एक कंप्यूटर विज़न बोलते हैं विज़न इज कि फॉर अ मशीन कि इमेज देख के मैं या तो इमेज में ट्रांसफॉर्मेशन कर सकूं या फिर ऑब्जेक्ट आइडेंटिफाई कर सकूं। जैसे अर्लियस्ट फॉर्म ऑफ विज़न जो कि इंडस्ट्री में यूज़ होता था। जैसे Facebook पे आप देखोगे तो बहुत पहले जब फोटोज अपलोड होते थे तो वो फेस स्क्वायर के अंदर आ जाता था। आप व्हिच इज़ कॉल्ड एज फेस फेशियल रिकग्निशन। जिसमें आप लोगों फ्रेंड्स को आप टैग कर सकते थे। राइट। फिर वो फेस डिटेक्शन भी होना स्टार्ट हो गया कि अपने आप उसने डिटेक्ट करना स्टार्ट कर दिया। मे बी ये आपका वो दोस्त आयुष है। तो दैट इज द अ फॉर्म ऑफ़ विज़। इनफैक्ट द मोस्ट एडवांस फॉर्म ऑफ़ विज़ अभी आजकल कार्स चलने लगी हैं जिनमें कि ड्राइवर्स होते ही नहीं है। हम राइट वो भी विज़न ही है क्योंकि आपके पास कास्टेंटली एक फीड आ रही है जो कि अगल-बगल की सड़क की का वीडियो है। राइट? एंड उसके बेसिस पे आप आप डिसजन ले रहे हो कि लेन चेंज करना है, सीधे ही जाते जाना है, किस स्पीड से जाना है। यह पूरा विज़न है। मैंने अभी एसएफओ में एक्सपीरियंस करी थी ड्राइवरलेस कार और दो दिन तो बैठे नहीं हम उसके अंदर। मैंने देख रहे हैं उसको रोड पे। कंफर्टेबल हो रहे हैं कि हां यार ये ये एक्सीडेंट नहीं कर रही। ये सही चल रही है। एंड देन आई रियलाइज़ वो ह्यूमन से बेटर चल रही है। बिकॉज़ वो एक फिक्स चीजें फॉलो कर रही है जो एट टाइम्स ह्यूमंस नहीं करते। वेरी सिमिलरली इसका सेकंड फील होता है वो नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग। तो आप देखोगे जैसे WhatsApp व अगर यूज़ करते हो तो आप टाइप कर रहे हो तो नेक्स्ट वर्ड वो प्रेडिक्ट करता है आप क्या लिखोगे और आपको सजेस्ट करता है तो वो टाइप की जो चीज होती है दैट इज़ एनएलपी नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग देयर आर मेनी एप्लीकेशनेशंस राइट जैसे फॉर एग्जांपल आप अगर विज़न में भी बहुत डीप चले जाते हो तो तो जैसे जो मैं अभी एग्जांपल दे रहा था सेल्फ ड्राइविंग कार के वो एक एग्जांपल है बहुत सारे वैसे एग्जांपल्स हैं फॉर एग्जांपल आजकल अ सर्लेंस जो होता है उसको भी ऑटोमेट किया जा रहा है कि ह्यूमन की जरूरत नहीं है। जैसे काफी सारे वन विभाग वगैरह में जानवर है कि नहीं है वो सब कैमरा लगा हुआ है। कैमरा से ही डिटेक्ट हो जाता है। अलार्म रेज हो जाता है। तो फिर एक किसी इंसान को बैठना नहीं पड़ता रात-रात भर टू सी कि कहीं से शेर या भालू नहीं गुजर रहा है। वो टाइप की के एप्लीकेशनेशंस बनना स्टार्ट हो गए हैं। तो किसी भी फील्ड को आप अगर डीप में जाएंगे तो बड़े सारे एप्लीकेशनेशंस हैं। इनफैक्ट हमारे सो हम स्केलर स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी चलाते हैं जिसमें इनोवेशन लैब है। उसके अंदर एक कंपनी है मतलब हम एक्चुअली जो इनिशियल स्टेज फाउंडर्स होते हैं उनको हम इनवाइट करते हैं कि आप यहीं से आके बनाओ। एंड वी गिव देम फैसिलिटीज स्टूडेंट्स आल्सो बेनिफिट। इनक्यूबेटर टाइप इनक्यूबेटर टाइप है ये। लेकिन वो स्टूडेंट्स के लिए हेल्पफुल है बिकॉज़ अगर अच्छे फाउंडर्स हैं, बहुत डीप कुछ बना रहे हैं तो स्टूडेंट्स काफी सीखते हैं। तो उसमें एक कंपनी है गहन एआई करके। हां। दे आर आल्सो वर्किंग ऑन अ विज़ प्रॉब्लम व्हिच इज कि माइंस में यूजुअली जो ट्रांसपोर्टेशन होता है हम वो काफी बार रिस्की होता है। बिकॉज़ अगर माइंड में कुछ इंसिडेंट हुआ तो फिर जो भी ट्रांसपोर्ट कर रहा है वो दैट पर्सन माइट लूज़ देयर लाइफ। तो दे आर बिल्डिंग एन ऑटोनॉमस सेल्फ ड्राइविंग व्हीकल फॉर ट्रांसपोर्टेशन इन माइंस। वो जो गोलफ कार टाइप के आपको दिखते हैं ना उसी में उसी को मॉडिफाई करके ओके कि वो खुद ही नेविगेट करके पॉइंट ए से पॉइंट बी चला जाएगा। हां। हां। तो उस टाइप के एप्लीकेशनेशंस आप बनाना स्टार्ट कर सकते हो। ओके। नाइस। तो जैसे आपने कुछ स्पेशलाइज़ेशंस बताई। सो स्कोप वाइज़, पोटेंशियल वाइज़ क्या कैटेगराइजेशन हो सकती है? इसमें ज्यादा है, कम है कि मोर और लेस इट्स सेम फ्यूचर के पर्सपेक्टिव में। स्टार्ट में बहुत ज्यादा डिफरेंस नहीं होता है। जैसे मैं सिलिकॉन वैली की बात कर सकता हूं, इंडिया की बात कर सकता हूं। इन दोनों जगहों की सैलरी मैं बता सकता हूं। तो अगर आप देखेंगे जो आपकी बिग टेक कंपनीज़ हैं Google, Facebook, Microsoft, Amazon इन जगहों पर सिलिकॉन वैली में यूजली जो स्टार्टिंग सैलरी होती है वो $50 से $2000 टाइप की होती है जो कि लगभग 1.5 करोड़ के आसपास की होगी। दिस इज़ फॉर अ नॉर्मल इंजीनियर। हम हम एक एआई इंजीनियर की भी इतनी ही सैलरी है। प्लस माइनस 10% हम हम एक मशीन लर्निंग इंजीनियर की भी इतनी ही सैलरी है प्लस माइनस 10% लेकिन जैसे-जैसे आप इसमें बेटर होते जाते हो वैसे-वैसे ग्रोथ उन जगहों पे जहां पे कम लोग हैं वहां पे सैलरी ग्रोथ एसेट्रा ज्यादा होती है। जो कि अभी दिख रहा है एमएलई के लिए या फिर अप्लाइड साइंटिस्ट के लिए या फिर एआई इंजीनियर्स के लिए इंडिया में सिमिलर नंबर्स प्रोबेब्ली स्टार्टिंग सैलरी इन बिग टेक कंपनीज़ 30 से 40 लाख के आसपास की स्टार्टिंग सैलरी होती है बट अगेन वो ग्रो करती है और इंडिया में भी लोगों के पास 34 करोड़ की सैलरी तो है ही इफ यू आर सीनियर इन द एआई डोमेन राइट हम बिग टेक कंपनीज़ की बात कर रहे हैं। अह इनके अलावा आर अदर कंपनीज़ आल्सो हायरिंग कि यह अभी सिर्फ Google Ma और यहीं तक है यह वाली गेम। हां। तो Google Ma में काफी वॉर टाइप का चल रहा है इसलिए थोड़ा ज्यादा है वहां पे तो थोड़ा ज्यादा एंपलीफाइड दिखता है। बाकी कंपनीज़ में भी डेटा साइंटिस्ट, मशीन लर्निंग इंजीनियर्स, अप्लाइड साइंटिस्ट इन लोग की हायरिंग हो रही है। रीज़न बीइंग कि जैसे दो-तीन तरह के ट्रेंड्स चल रहे हैं इस टाइम पे। एक एक थीसिस ये है कि एक बहुत बड़ा डोमेन टेक में था सैस का सॉफ्टवेयर एज अ सर्विस तो जैसे आप बहुत सारे जो टूल्स यूज़ करते हो स्लैक यूज़ करते हो फॉर एग्जांपल या फिर Microsoft टीम्स यूज़ करते हैं ईमेल्स यूज़ करते हैं। ये सारे सॉफ्टवेयर एज अ सर्विस टाइप के टूल्स हैं। अभी एक जो डायरेक्शनल दिख रहा है जिस तरफ बहुत सारी कंपनीज़ जा रही हैं वो ये कि कोपायलट का जो एक डायरेक्शन है कि एआई धीरे-धीरे इतना इंटेलिजेंट होता जा रहा है कि एक जूनियर इंजीनियर का काम या जूनियर एनालिस्ट का काम या फिर जूनियर फाइनेंस गाय का काम एआई कर सकता है हम तो अगर वो ऐसा कर सकता है तो इज़ देयर अ वे कि मैं अगर आपके डिपार्टमेंट आपका डिपार्टमेंट कैसा चलता है मैं अगर उसको डीपली समझूं हम तो कैन आई पुट अ कोपायलट विथ यू जो कि आपका 80% काम करके आपको दे देता है हम गेट इट आप सिर्फ 20% एक तरीके से उसको इंस्ट्रक्शन देने पे फोकस फोकस करते हो या ऑर्केस्ट्रेट करने में फोकस करते हो। मतलब इसका एक रियल एग्जांपल मैं बताता हूं। जैसे हमारे लिए सबसे बड़ा यूज़ केस है लर्निंग। हमें लोगों को सिखाना होता है। तो हमने एक ये तो डेढ़ साल पुरानी बात हो गई कि हमने एक को पायलट बनाया था। जो कि अभी भी चलता है। बहुत अच्छा चल रहा है। इनफैक्ट जिसका काम ये है कि आप जैसे-जैसे सीख रहे हो वो आपके साथ रहे। आप अगर कोई लेक्चर अटेंड करते हो तो आपके साथ आप वो लेक्चर भी अटेंड करता है। आपको कुछ नहीं समझ में आया तो आप क्वेश्चन पूछ पाओ और वो कोपायलट समझा पाए कि देखो जो मुझे समझ में आता है इंटरनेट से ये है इसकी अंडरस्टैंडिंग आप कोई प्रॉब्लम सॉल्व करने जा रहे हो लेट्स से कहीं कहीं पे कुछ कोड लिखना है तो वो उसको भी देख के आपको बता पाए कि मे बी ऐसे सोचो नॉट टेलिंग यू दी आंसर बट लाइक गिविंग यू अ हिंट टुवर्ड्स दी आंसर या फिर आपके कोड में शायद यहां पे गलती है उस टाइप की चीजें नजेस एंड हेल्पिंग यू इन द इन द जर्नी सो दैट योर लर्निंग जर्नी बिकम्स ईज़ियर राइट ये कोपाइल ये सेम चीज हर सेगमेंट में हो रही है। तो ये तो हमने डेढ़ साल पहले स्टार्ट किया था। इनफैक्ट पूरे स्केलर में उसको हम स्केलर स्केलर स्कूल ऑफ़ टेक्नोलॉजी दोनों जगह पे यूज़ करते हैं। अभी आईआईटी मद्रास ने भी उसको स्टार्ट कर दिया यूज़ करना। तो जो उनके ऑनलाइन कोर्सर्सेस है उसमें अडॉप्ट हो रहा है। धीरे-धीरे फिर वो होपफुली ऑफलाइन में भी होगा। सो जो मैं समझ पा रहा हूं कि एक हमने टॉप टेक बिग टेक कंपनीज़ की बात करी। लेकिन एक बहुत बड़ा ओपोरर्चुनिटी और बहुत बड़ा स्कोप यहां बन जाता है कि जितने भी बिनेसेस हैं राइट हर जगह यह कोपायलट जैसी एक स्यूशन तो चाहिए और इस तरह के कई सशंस एआई के ग्रेजुअली सबको चाहिए तो मे बी एक प्लॉट है जो बिग टेक में चला गया लेकिन एक बहुत बड़ी डिमांड इन सब कंपनीज़ में भी है। फॉर एग्जांपल मेरा एडिटर है तो उस एडिटर को मैं एक असिस्टेंट दे सकता हूं। लेकिन वो असिस्टेंट बनाने के लिए उस प्रोसेस के लिए मुझे कोई ऐसा चाहिए जिसको एआई की नॉलेज है। एक्साक्ट्ली कि एक ब्रॉड लेवल ऑफ़ कोपायलट तो हो सकता है Microsoft भी बना के दे दे। लेकिन वो आपके यूज़ केस में नहीं चलेगा। राइट? तो किसी को बैठ के आपका वर्क फ्लो समझ के अगर वो बना सकता है तो हो सकता है आपको दो एडिटर की जगह एक ही एडिटर से काम हो जाए और बेटर क्वालिटी ऑफ़ काम हो जाए। राइट। सो एनी बिज़नेस वुड बी इंटरेस्टेड ऐसे लोगों को हायर करने में या उनसे प्रोडक्ट लेने में या उनसे सर्विस लेने में क्योंकि उसके लिए वो एक फ्यूचर की कंपाउंडेड कॉस्ट बच जाती है। बिल्कुल राइट। तीसरे टाइप ऑफ़ बिज़नेसेस जो चल रहे हैं जहां पे अगेन पीपल इन एआई एंड मशीन लर्निंग आर नीडेड आर कि बिज़नेसेस दैट दैट दैट दैट दैट दैट दैट आर एट इंटरसेक्शन ऑफ़ हार्डवेयर एंड सॉफ्टवेयर। हम तो जैसे मैं आपको एक कुछ एग्जांपल्स देता हूं। जैसे मैंने गहन एआई का एग्जांपल लिया राइट कि माइनिंग में ट्रांसपोर्टेशन सॉल्व करना है तो ऑटो ड्राइविंग कार्स बनानी है फॉर माइनिंग इंडस्ट्री राइट उनके रूट को मैप करके या फिर वेरी सिमिलरली शिपिंग में जैसे शिप्स चलती है तो शिप्स में जो प्रोपेलर होता है हम हम वो क्या होता है कि जब बहुत लॉन्ग डिस्टेंस शिप चलती है तो प्रोपेलर इतना सारा वो एल्गी और डर्ट एक्यूमुलेट कर लेता है कि वो स्लो हो जाता है। तो सेम डिस्टेंस जाने के लिए आपको बहुत ज्यादा फ्यूल चाहिए होता है। तो द एफिशिएंसी ऑफ़ शिप बेसिकली रिड्यूसेस एज़ इट गोज़ फॉर मोर एंड मोर डिस्टेंस। तो और वो एक ह्यूमन के लिए चलती शिप में क्लीन कर पाना बहुत ही डेंजरस होता है। बिकॉज़ इट्स अ ह्यूज प्रोपेलर विथ बिग ब्लेड्स। कटवट जाओगे आप अगर जाओगे सफाई करने के लिए। राइट। तो एक चाइना में एक कंपनी है उन्होंने यूजिंग विज़न। एक रोबोट बनाया है जो कि जो कि अगेन लाइक इफ यू ड्रॉप इट इन द ओशन। वो फिगर आउट करता है कि कहां पे है पॉपुलर। ओके। एंड देन मैप करता है कि ये हैं इसके ब्लेड्स। यहां यहां पर डर्ट है। और जैसे वो आपने देखा होगा ना आजकल तो वो एक आता है जो घर में पोछा लगाता रहता है। वैसे ही जा के वो धीरे-धीरे क्लीन करता है उसको बिकॉज़ इट हैज़ अ कैमरा एंड लाइक डिसेंटली इंटेलिजेंस सिस्टम। तो इस टाइप के इंटरसेक्शन पे कि आपके पास कैमराज़ हैं। आपके पास हार्डवेयर है। नाउ उस इंफॉर्मेशन को यूज़ करके मैं वो एकशंस कैसे परफॉर्म करूं व्हिच आर यूज़फुल। राइट? उस टाइप की अलग कंपनीज़ बन रही हैं और बनेंगी और हम सम ऑफ़ दीज़ आर बाय द वे लाइक हार्ड प्रॉब्लम्स दे आर नॉट इजी टू सॉल्व राइट और अगेन क्योंकि ये कंपनीज़ बन रही है तो वहां पे एक ओपोरर्चुनिटी ओपन हो रही है। इंटरेस्टिंग किसी ने स्टार्ट कर दिया। उसने कोई एक स्पेशलाइजेशन चूज़ करी। उसने उसके ऊपर अपना क्यूरियोसिटी सबसे पहले फाउंडेशन पे आ जाते हैं। उसके अंदर चुल है, क्यूरियोसिटी है। उसने समझा ये कुछ फील्ड्स हैं। ऑफ कोर्स इस पॉडकास्ट उसको एक ब्रीफ आईडिया हुआ। अब वो खुद से उन तीन-चार फील्ड्स को रिसर्च कर सकता है कि विज़न में जाना है कि एनएलपी में जाना है। एंड देन उसने एक स्टार्ट लिया। हम अगेन मैं एक सिनेरियो ले रहा हूं कि इट कैन बी अ बिग टेक और इट कैन बी एनी एनी साइज ऑफ़ बिज़नेस। राइट? हम अब उसको अपने आपको एक फ्यूचर में टेक लीडर एस्टैब्लिश करना है कि वह उस लेवल के पैकेजेस तक पहुंच पाए। आज 5 लाख पे है। लेकिन अब वो 5 लाख से जो 5 करोड़ 5 करोड़ की जर्नी है। जी उसमें क्या? बिकॉज़ आपने वो जर्नी देखी है। हम आपने बिग टेक के साथ काम किया है और आपके आसपास वो पूरा सर्कल है। तो क्या वो एक्सपोज़र हम व्यूअर्स तक पहुंचा सकते हैं कि 5 लाख से 5 करोड़ की जर्नी होती कैसे है? कैसे करनी है वो? देखिए मतलब मैं एक सिंपल आंसर देता हूं। फिर थोड़ा और कॉम्प्लिकेटेड आंसर देता हूं। सिंपल आंसर इज़ कि अगर आप लगे हुए हैं और क्यूरियोसिटी है तो आप चीजें एक्सप्लोर करते हैं और एक चीज के अंदर डेप्थ में जाते हैं और डेप्थ बहुत जरूरी है तो तो हो जाएगा 5 लाख से 5 करोड़। मतलब मैं एक एक और एग्जांपल लेता हूं। तो एक सिलिकॉन वैली में ना नवल रविकांत करके एक बड़े फेमस फिलॉसोफ्ल स्पीकर स्लैश फाउंडर एंजलिस के फाउंडर थे वो। तो उन्होंने जो पहली कंपनी स्टार्ट करी थी वो कुछ चारप फ्रेंड्स थे उन्होंने स्टार्ट करी थी। उस उस कंपनी को बेचने के बाद किसी का कुछ पैसा वैसा नहीं बना था। लेकिन अगर आज आप देखोगे तो उनमें से दो लोग बिलनेयर हैं। एक या दो ऐसे हैं जो कि लगभग 100 मिलियन टाइप का वेल्थ जनरेट कर चुके हैं। उनमें से सिर्फ एक है जो कि मतलब नॉट अ मिलेनियर। एंड उसका केस वही था कि दैट पर्सन नेवर डिड वन थिंग फॉर लॉन्ग इनफ। वुड कीप जंपिंग फ्रॉम वन टू अनदर व्हिच एवर वास द फैड। हम तो अगर आप चीजें इसलिए कर रहे हो बिकॉज़ जनरली क्यूरियस हो, डीप में जाना चाहते हो, इनफ टाइम स्पेंड करके डेप्थ गेन करते हो तो 5 लाख से 5 करोड़ हो जाएगा। हम दैट्स द नेट ऑफ इट। अ अगर दिमाग बार-बार इधर-उधर जंप करता है, किसी चीज को आप अच्छे से नहीं कर पाते हो, तो दैट्स द ओनली रीज़न व्हाई विद एक्सपीरियंस विल नॉट ग्रो। क्यूरियोसिटी बहुतेंट है, डेप्थ बहुतेंट है। दैट्स द सिंपल राइट। एंड आई वुड से वो फंडामेंटल्स हैं। वो सिर्फ टेक में ही नहीं वो लाइफ में भी यही है। हम कंटेंट क्रिएशन में भी यही देखते हैं। हम किसी भी करियर में यही देखते हैं कि अगर कोई भटकता रहता है कि अभी ये कर लेते हैं, अब ये कर लेते हैं, अब ये कर लेते हैं तो कुछ भी नहीं हो पाता। कुछ भी नहीं हो पाता। ये हम थोड़ा सा जॉब वाला डायरेक्शन डिस्कस कर रहे हैं। एक और बहुत इंपॉर्टेंट चीज जो मुझे लगता है अब इंडिया में भारत में वेव चल रही है एंटरप्रेन्योरशिप की। फील्ड में एआई के डोमेन में किस तरह की एंटरप्रेन्योरशिप की अपॉर्चुनिटीज आप आपको लगता है कि एक्सप्लोर की जा सकती हैं। मतलब मुझे ऐसा लगता है कि जैसे कि जब डॉट बूम आया था हम 2000 से पहले हम तो ऐसा हुआ था कि मतलब काफी नए टाइप की कंपनीज़ बनी थी जिनके बारे में लोगों ने सोचा भी नहीं था। हम किसी ने इमेजिन नहीं किया था कि एक Facebook होगा एक दिन। Google होगा एक दिन। क्योंकि दुनिया तो फिजिकल थी ना। मतलब कोई ऑनलाइन में तो दुनिया थी नहीं। मुझे लगता है कि विथ एआई बिकॉज़ अभी ऐसा हो गया कि एक मशीन इंटेलिजेंट होती जा रही है। तो दे देयर इज़ अ काइंड ऑफ़ प्रॉब्लम दैट दे द मशीन कैन सॉल्व जो कि हो सकता है मैंने नहीं सॉल्व किया आज तक। हम मेरे पास अबंडेंट अबंडेंस है ऑफ इंटेलिजेंट अ फोर्स। हम्म। तो उसको यूज़ करके बहुत तरह की चीजें की जा सकती हैं जो कि हो सकता है मैं पहले नहीं कर सकता था। हम् तो अम कंपनीज़ बहुत बनेंगी। मेरा जो रिकमेंडेशन होगा फॉर फ्यूचर एंटरप्रेन्यर्स इफ यू अगर आपको टेक में ही कोई कंपनी बनानी है आप प्लीज टेक अच्छे से सीखिए गो डीप एंड देन यू स्टार्ट क्रिएटिंग कंपनीज़ इनफैक्ट हम जो एक इंस्टट्यूट भी चलाते हैं स्केल स्कूल ऑफ़ टेक्नोलॉजी वहां पे भी फोकस वही है कि यू मेक श्योर कि पहले आप डीप जाओ टेक के अंदर एंड देन देयर इज़ अ लॉट ऑफ़ पुश टू थिंक इन दिस डायरेक्शन आई एम सॉरी गोइंग डूइंग लिटल डीटिंग बट आई एम थ्रूइंग दिस एस एन एग्जांपल श्योर श्योर श्योर हमने अभी फॉर एग्जांपल एक एफर्ट स्टार्ट किया है कि सो हमारा जो पहला बैच आया था सेकंड ईयर में एज पार्ट ऑफ़ द कोर्स इटसेल्फ दे वर रिक्वायर्ड टू गो फॉर इंटर्नशिप मोस्ट ऑफ़ द बैच 97% ऑफ़ द बैच एक्चुअली वेंट फॉर इंटर्नशिप अभी कुछ लोगों का प्रोसेस चल रहा है तो मोस्ट प्रोब्ली वो 100% हो ही जाएगा अह अब वो इंटर्नशिप हाउएवर खत्म कर करके वापस आ रहे हैं कैंपस तो नाउ दैट दे हैव लर्नड एंड दे हैव आल्सो सीन हाउ द वर्ल्ड वर्क्स तो फिर देयर इज़ अ पुश टू कि नाउ पुश देम टुवर्ड्स एंटरप्रेन्योरशिप बिकॉज़ नाउ दे अंडरस्टैंड थिंग्स इन डेप्थ। तो वहां पे वी हैव स्टार्टेड दिस प्रोग्राम जहां पे जो थोड़े लीडर्स हैं इंडस्ट्री में फॉर एग्जांपल देयर इज़ अ दिस पर्सन कॉल्ड प्रसन्ना ही यूज़्ड टू बी अ जज एट व बाय कॉम्बिनेटर रिप्लिंग करके कंपनी है। 20 बिलियन डॉलर की कंपनी है वो उसके फाउंडर हैं। तो ही इज़ पर्सनली मेंटरिंग ए सेट ऑफ़ स्टूडेंट्स इन दैट डायरेक्शन कि इस इस डायरेक्शन में सोचो। या फिर हियर आर थिंग्स दैट यू शुड हैबिट्स यू शुड बिल्ड। तो वो टाइप की चीजें अब हमने करना स्टार्ट करी है। सो दैट सम ऑफ़ दीज़ किड्स इवेंचुअली गो एंड बिकम फ्यूचर एंटरप्रेन्यर्स। लेकिन यही चीज जब हमने फर्स्ट ईयर में करना स्टार्ट किया था। तो वी रोल्ड इट बैक वैरी क्विकली। बिकॉज़ हमें समझ में आया कि फिर वो एक बिहेवियर क्रिएट हो रहा है कि जहां पे लोगों को लगता है कि जस्ट फैंसी आईडिया सोच लो। हम और कुछ बना ले जाएंगे। बट देन दे स्टार्टिंग स्टक इंप्लीमेंटिंग बिकॉज़ दे आरंट देयर येट। जो फाइनल इनसाइट्स होते हैं वो नहीं आ रहे हैं। तो मेरा एक एडवाइस यही रहेगा कि आप प्लीज टेक में अंदर घुसिए अच्छे से घुसिए एंड देन फिर आपको खुद ही इनसाइट्स आना स्टार्ट हो जाएंगे कि और क्या-क्या बन सकता है यहां से। नजर आएगा कौन सी प्रॉब्लम्स है जो आपका माइंड में जो टेक चल रहा है उससे आप कौन सी प्रॉब्लम सॉल्व कर सकते हो। तो आपको आपका लेंस चेंज हो जाएगा देखने का प्रॉब्लम्स की तरफ। एंड देन आपको नजर आएगा ये तीन चार ऑप्शंस हैं जिनको मैं पर्सू कर सकता हूं। एंड प्रोबेब्ली यू कैन बिग मेक समथिंग बिग आउट ऑफ इट। गलत क्या जा सकता है एआई में? देखिए फिलॉसोफीस हैं एआई के अंदर। सो देयर इज़ समथिंग कॉल्ड एस एजीआई। एजीआई इज़ व्हेन मशीनंस डेवलप कॉन्शियस एंड दे बिहेव स्टार्ट बिहेविंग लाइक अ ह्यूमन बीइंग। वो एकदम मतलब आप एक ह्यूमन बीइंग और एक मशीन के बीच में डिफरेंशिएट ना कर पाओ। तो उनके अंदर भी इमोशंस आ गए हैं। दे स्टार्ट थिंकिंग अबाउट देमसेल्व्स फॉर एग्जांपल तो जो मूवीस बनती है टर्मिनेटर टाइप की वैसा होना स्टार्ट हो जाता है। अ तो एक जो स्कूल ऑफ थॉट है वो ये बोलता है कि अगर मशीनंस कीप बिकमिंग स्मार्टर एंड स्मार्टर इंटेलिजेंट इंटेलिजेंट तो एक रिस्क वो है कि द मशीनंस माइट टेक ओवर। हम आई डोंट नो वेदर दैट्स दैट थॉट हैज़ मेरिट ऑ नॉट बिकॉज़ देयर इज़ अ सेकंड थॉट आल्सो व्हिच इज कि ऐसा कभी नहीं होगा। तो वो है एक दूसरा यह है कि देखिए नेचर ऑफ जॉब्स तो चेंज होंगी लेकिन नंबर ऑफ जॉब्स जो बनेंगी इन द प्री एंड पोस्ट एआई वर्ल्ड हम विल दे बी द सेम और नॉट वी डोंट नो हम हो सकता है नंबर ऑफ़ जॉब्स रिड्यूस हो जाए वो एंड दीज़ जॉब्स माइट बी मोर वैलुएबल इसका मतलब कि इनको पे स्केल ज्यादा मिलता है हम तो द रिच बिकम रिचर द पुअर बिकम पुर वैसा हो सकता है इन द पोस्ट एआई वर्ल्ड अगर नंबर ऑफ़ जॉब्स उतनी नहीं है। हां क्योंकि अगर कोई कोल माइन की ट्रांसपोर्टेशन मशीन ले रही है तो ऑफ कोर्स बहुत लोगों की जॉब जा रही है। एंड जो उस चीज को क्रिएट कर रहा है उसका क्योंकि सप्लाई कम है डिमांड ज्यादा है तो उस मतलब देयर आर लेस जॉब्स बट हाई पेइंग जॉब्स ये कहना चाह रहे हैं। मतलब मेरा मानना ये है कि ये तो बहुत जगहों पे होना चाहिए। हो सकता है हम वैसी चीजें करने लगे जो हम पहले करते नहीं थे। द क्वालिटी ऑफ़ जॉब्स माइट इंप्रूव। तो फॉर एग्जांपल आज भी हमारे देश में बहुत सारे लोग हैं जो जाके गटर साफ करते हैं। मे बी वहां पे ह्यूमंस की जरूरत नहीं है। मशीन कर सकती है वो। वो कुछ बेटर काम कर सकते हैं। राइट? लेकिन अब वो कितनी ऐसी जॉब्स बनेंगे और कितने ऐसे नए एवन्यूस हम एक्सप्लोर करेंगे वो इज़ येट टू बी सीन। मुझे लगता है कि जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी एडवांस होती है ना हम नए एवन्यूस एक्सप्लोर कर ही लेते हैं। आप ऐसे देखोगे तो इंसान ने इंसान का सबसे पहला टेक्नोलॉजिकल डेवलपमेंट था खेती। हां। लोग पहले एक दूसरे से झगड़ते थे जस्ट फॉर फूड बेसिक सर्वाइवल हम फिर खेती का डिस्कव्यू फिर सबके पास हो गया कि चलो ठीक है कुछ नहीं होगा हम खेती कर लेंगे खेती कर लेंगे कुछ ना कुछ खाए तो खाने को तो हो ही जाएगा आई कैन सर्वाइव यस एंड देन समबडी कुड आर्ग्यू कि भाई सब खेती ही करेंगे किसी के पास और कुछ करने को है नहीं बट देन हमने उसके बाद भी हमने चार तरह की और चीजें डिस्कवर करी बनाना स्टार्ट किया मशीन मशीनंस आ गई। अलग-अलग टाइप की जॉब्स। हमारे नेचर ऑफ़ जॉब्स हैज़ बीन इवॉल्विंग फॉर एवर। इट्स जस्ट हैपनिंग एट अ वेरी फास्ट पेस राइट नाउ। राइट? हां। ऑफकोर्स अभी थोड़ा सा इनिशियल टाइम है तो बहुत सारी क्वेश्चंस भी आते हैं माइंड में। बहुत सारी। मतलब आई आल्सो कीप थिंकिंग। अभी आपने जो विज़न वाली बात करी तो अह तीन-चार दिन पहले। सो वी हैव अ पेट जोनामा उसका। हम तो हम मैंने और मेरी वाइफ गुंजन ने हमने ऐसे उसका पिक्चर क्लिक किया और चैट जीपीटी को पूछा व्हाट इज थिंकिंग और ये फोटो तब खींचा जब उसकी ट्रीट का टाइम होने वाला था। जस्ट पांच मिनट बाद उसने ट्रीट लेनी थी। हमने ऐसे ही किया। वी हैड नो आईडिया कि चैट जीपीटी इस चीज को आंसर कर देगा। मतलब ह्यूमन रीड करना इज़ वन थिंग डॉग का तो एक्सप्रेशन ही क्लियर नहीं होता। इट्स ऑल हेरी फेस। तो उसने कहा कि जो इज वेटिंग फॉर हिज ट्रीट। ओ वाओ। एंड नेक्स्ट डे एक-द दिन बाद ट्रीट के बाद उसका पिक्चर खींचा। परसों की बात है एंड उसने कहा इट लुक्स लाइक ही जस्ट हैड ट्रीट और आज व्हेन गुंजन वास लिविंग हाउस हम् तो फोटो खींचा तो उसने देखा ही इज़ गोइंग टू मिस यू। ही नोस यू आर गोइंग। सो वी वर लाइक हम ऐसे हो गए इतना कि मतलब अ डॉग का एक्सप्रेशन और इतना स्पेसिफिक कि ट्रीट की वेट हो रही है। सो अभी के लिए बड़ा नहीं बट यही ना चीजें मल्टीमोडल होती जा रही है। तो जैसे फॉर एग्जांपल अब ये जो चीज है आपको कि जैसे कि जो आपने बताया वो प्रॉब्लम ये है कि एक एनिमल के एक्सप्रेशनंस को मैं रीड नहीं कर सकता। हम बट मुझे अगर आपको इनेबल करना हो तो आजकल ग्लासेस आने लगे हैं। जिसमें कि आई कैन मतलब आई कैन प्रोजेक्ट इमेजज़ ऑन टॉप। तो एंड आई नो कि एक्सक्टली आपको क्या दिख रहा है ग्लास से। तो उन ग्लासेस मैं आपको दिखाना चालू कर सकता हूं। सबटाइटल्स ऑफ व्हाट योर एनिमल माइट बी थिंकिंग। उस टाइप के प्रोडक्ट्स बनने लगेंगे। बनेंगे। बिल्कुल बनेंगे। सो अभी तो इमेजिन मतलब अभी ये सब ऐसा है जो कुछ साल पहले अगर मैं अपनी दादी को कहता कि ये सब होने वाला है तो आज भी उनको उनके लिए मैजिक है। कि ये तो कोई जादू है। मतलब 10 साल पहले बोलता तो वो कहते पागल हो गया। तुम मतलब इसको कहीं आगरा लेके जाओ। राइट? बट एट दिस डे दीज़ थिंग्स आर हैपनिंग। और आगे क्या होने वाला है सोच-सच के कई बार माइंड में बहुत सारी इमेजिनेशंस आती हैं। पर ए रेवोल्यूशन की बात अगर वापस करें तो इंडिया को एज अ कंट्री इस रेवोल्यूशन में क्या एडवांटेजेस हो सकती हैं और डिसएडवांटेजेस हमारी फेवर में क्या है? भारत की फेवर में क्या है? देखिए मतलब पहले तो मैं ये बोलूंगा कि आई थिंक हमारा इस रेवोल्यूशन में सक्सीड करना बहुत जरूरी है। हम हम रीज़न बीइंग कि वी आर द यूथ कैपिटल ऑफ़ द वर्ल्ड। वी हैव द लार्जेस्ट नंबर ऑफ़ यूथ इन द वर्ल्ड इन एनी कंट्री। बिलकुल। अह और अगर हम नहीं जीतेंगे तो फिर वह जॉब्स कहीं और जाएंगी और वो जॉब्स कहीं और जाएंगी तो फिर हमारे पास क्या होगा? राइट? सो इट्स नॉट लाइक देयर इज़ नो एवरेज आउटकम फॉर इंडिया। देयर इज़ इदर लाइक अ वेरी हाई आउटकम कि वी विन दिस रेस एंड देन सडनली लाइक वी आर द पावर हाउस ऑफ़ द वर्ल्ड और देयर इज़ अ वेरी बैड आउटकम। आई डोंट वांट टू थिंक अबाउट द बैड आउटकम। तो हम अच्छे आउटकम की बात करते हैं। आई थिंक हमारे पास एक सुपर पावर ये है कि द नंबर ऑफ पीपल इन टेक हम वि द राइट एंड ऑफ़ डेप्थ। जैसे जो मैं अभी एआईएमएल इंजीनियर्स की भी बात कर रहा हूं। आप देखोगे तो एट द कोर ऑफ इट अ लॉट ऑफ़ इट आर आर इंडियंस। हम वो सिलिकॉन मैने में बैठे हैं। बट हैं ओरिजिनली इंडियंस। मेरे सर्कल में बड़े सारे लोग हैं जो कि इस रिवोल्यूशन को लीड कर रहे हैं। तो दैट आई सी इज़ अ पॉजिटिव कि जितना वहां है उतना यहां पे भी है। मतलब द रॉ मटेरियल एक्सिस्ट तो इन अ वे इफ एनी कंट्री हैज़ टू कीप क्रिएटिंग स्टफ फॉर द वर्ल्ड हम इंडिया हैज़ द बेस्ट चांस एट इट। बिकॉज़ एआई और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की अच्छी चीज क्या है कि आपको मेरे को अगर यूएस के लिए प्रोडक्ट बनाना है तो मुझे यूएस में बैठना जरूरी नहीं है। हम मैं यहां से बना सकता हूं। मजदूरी मैं यहां से वहां के लिए नहीं कर सकता। लेकिन सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट तो मैं यहां से वहां के लिए बना सकता हूं। तो एज लॉन्ग एज वी गेट टू अ प्लेस जहां पे वी स्टार्ट क्रिएटिंग फॉर द वर्ल्ड। हम तो वी विल डू रियली वेल। मुझे बस एक ही गैप दिखता है कि इंडिया इज़ नॉट अ मैन्युफैक्चरिंग हब। हम जैसे कि चाइना ने जो पिछले 20 30 साल में किया हम जैसे आपने जो अभी बताया ना मैं ग्लासेस की बात कर रहा था वो चाइना में मिलता है। हां हां हम चाइना में आजकल रोबोट्स प्रॉपर आने लगे हैं। मतलब हमने तो एक्चुअली दो तीन रोबोट खरीद के हमने उधर भी एसएसटी में भी रखे हैं। बट देयर आर रोबोट्स जिसको कि आप प्रोग्राम करके कुछ भी करा सकते हो। हम मतलब टेक्निकली यू कैन एक्चुअली हैव अ रोबोट दैट इज गोइंग अराउंड योर कैंपस डूइंग द पहरेदारी का काम बिकॉज़ यू आर प्रोग्राम्ड इट टू डू सो हम वो टाइप की चीजें पॉसिबल है। तो अगर ये इकोसिस्टम भी होता तो तो मतलब एकदम स्लैम डंक वी वर विनिंग द रेस। अभी देयर इज़ अ क्वेश्चन मार्क बिकॉज़ वी डोंट हैव दिस लेयर। तो देयर इज़ अ सॉफ्टवेयर लेयर। सवाल ये है कि दिमाग तो हमारे चल रहे हैं। सिलिकॉन वैली में भी चल रहे हैं। यहां भी है। तो इंडियन ही एक इस वक्त फोर्स है पीछे। इंडियंस की भारतीयों की फोर्स है एआई के रेवोल्यूशन के पीछे कहीं ना कहीं बट आप ये कह रहे हो कि एक चैलेंज जो आप बता रहे हो वो ये है कि मैन्युफैक्चरिंग में हम पीछे हैं। चाइना इज एबल टू मैन्युफैक्चर वहां पे आई प्रोबेबबली एग्जीक्यूशन इन टर्म्स ऑफ़ प्रोडक्शन फास्ट है। यही कहना चाह रहा हूं। मैं उसको दो पार्ट में ब्रेक करता हूं। दो तरह के कंपनीज़ बनेंगी इन द फ्यूचर। दे आर गोइंग टू बी प्योर सॉफ्टवेयर कंपनीज़। एंड आई थिंक वी आर एट ऑन इक्वल फुटिंग विद अ यूएस कंपनी देर। ओके। टैलेंट यहां पे भी है। देयर इज़ अ 50-50% चांस विल विल मोस्ट प्रोब्ली एंड अप डूइंग वेरी वेरीरी वेल इन ऑन दिस फ्रंट। हाउएवर एक लार्ज बेट फ्यूचर के लिए ये भी है कि बहुत सारी ऐसी कंपनीज़ बनेंगी। इनफैक्ट जो एक बहुत बड़ा पैराडाइम चेंज होने वाला है वो रोबोटिक्स का ही होने वाला है। तो अभी बहुत छोटे स्केल पे वो स्टार्ट हुआ है कि जैसे कि मशीनंस को जो सॉफ्टवेयर को ट्रेन करने के लिए डेटा चाहिए होता है ना वो सब इंटरनेट पे था। बहुत सारा डाटा था। लेकिन अब जो ये रोबोट को ट्रेन करने के लिए डाटा चाहिए। चलते कैसे हैं? खाना कैसे उठाना है? यह कहीं पे नहीं है। तो आजकल फैक्ट्रीज उस टाइप की सेटअप हो रही हैं कि फैक्ट्रीज में यू हैव दीज़ ग्लव्स एंड यू हैव दीज़ पैड्स दैट यू कैन वेयर। एंड यू डू योर रेगुलर एक्टिविटी। ओके? और उसको रिकॉर्ड किया जाता है कि आप कैसे सामान उठाते हो? आप कैसे चलते हो? आपके हैंड मूवमेंट्स कैसे होते हैं? फुट मूवमेंट्स कैसे होते हैं। सो दैट अ रोबोट कैन बी ट्रेंड यूजिंग दिस डेटा। ऑन हाउ टू ऑपरेट बेसिस द लैंडस्केप दैट यू ऑन। हम्म। तो ये वाला फील्ड अभी धीरे-धीरे विल गेट बिल्ट इन द नेक्स्ट 10 टू 20 इयर्स। ओके? एंड अ लॉट ऑफ़ थिंग्स विल बी क्रिएटेड व्हिच आर एट इंटरसेक्शन ऑफ हार्डवेयर एंड सॉफ्टवेयर। हम हम कि कुछ एक हार्डवेयर है, चश्मा है, लॉकेट है, रिंग है, वॉच है, कुछ भी है। एक रोबोट ही है। हम हम और कुछ सॉफ्टवेयर है जो उसको पावर कर रहा है। तो आई एम कंसर्न अबाउट दिस सेगमेंट। ओके? जहां पर चिप्स होते हैं, जहां पर हार्डवेयर होता है, एंड जहां पे योर योर मैन्युफैक्चरिंग इज स्पेशलाइज्ड काइंड ऑफ़ हार्डवेयर, दिस रेस वी हैव स्टिल अ गुड चांस टू मी। मैन्युफैक्चरिंग में क्या चैलेंज है? क्यों इंडिया इज़ अ कंट्री उसमें व्हाई व्हाई इज़ अ क्वेश्चन? अ देखिए कैसा है ना कि मैन्युफैक्चरिंग एक इकोसिस्टम होता है। हम मतलब इकोसिस्टम ऐसा होता है कि अगर मैंने अपना एक मैन्युफैक्चरिंग प्लांट सेटअप किया भी है तो मुझे जो उसके रॉ मटेरियल चाहिए जो पार्ट्स चाहिए वो अगल-बगल मिलते हैं तो फिर मेरा मैन्युफैक्चरिंग प्लांट चलेगा। अदरवाइज सेंसिलरी यूनिट्स जो है वो आसपास आसपास मिलती है तो फिर चलता है। अदरवाइज इशू हो जाता है। अब ये जो इकोसिस्टम है वो चाइना में इतने टाइम से डेवलप होता आ रहा है। एंड देयर इज़ सो मच इनोवेशन हैपनिंग हियर। अभी भी आप इंडिया में मोस्ट डी टू सी प्रोडक्ट्स अगर देखोगे जो अच्छा कर रहे हैं वो वही होते हैं। हेंस कि मैं जाके चाइना में डिफाइन करता हूं कि भ ऐसा कुछ बना दो वो तुरंत अगले दिन बन के आ जाता है। एंड देन आई टेस्ट इट डाउन इन द इंडिया मार्केट एंड देन आई स्किल इट। हम इंडिया में वो कर पाना महंगा है और बहुत मुश्किल है। वी डोंट हैव द सेम काइंड ऑफ़ टेक। हम एंड अगर किसी ने जान लगा के कर भी दिया। इतने सारे आइटम्स इंपोर्ट करने पड़ते हैं या एंथ्री यूनिट्स है नहीं कि इट बिकम्स वेरी एक्सपेंसिव। राइट? तो वो इकोसिस्टम जब तक नहीं बनेगा व्हिच इज़ नॉट कि एक इंसान ने जाके कुछ कर दिया। बट लाइक देयर इज़ अ कम्युनिटी दैट गेट्स डेवलप व्हिच इज़ डूइंग दिस ऑल द टाइम। हम हर हर एडजसेंसी में कुछ ना कुछ ओवरलैप होता है। हम मतलब अगर एक बाइक बनाने वाली कंपनी भी यही है, कार बनाने वाली भी कंपनी है। तो बड़े सारे ओवरलैप्स होते हैं। बहुत सारे पार्ट्स कॉमन होते हैं। तो फिर आप आपको पता है कि वो मिल जाएंगे पार्ट्स इधर-उधर। वो इकोसिस्टम अभी एक्सिस्ट नहीं करता है। आगे क्या लग रहा है आपको? आर यू ऑप्टिमिस्टिक या डाउटफुल बन बनने का क्या पोटेंशियल लग रहा है? मतलब मैं तो देखिए हमेशा से ही बड़ा ऑप्टिमिस्टिक रहा हूं और मुझे लगता है कि जहां चाहा है वहां रहा है। तो एज अ कम्युनिटी आई थिंक इंडियंस हैव बीन वेरी मतलब अंदर से फाइटिंग स्पिरिट बहुत हाई है। तो मुझे लगता है जैसे-जैसे दुनिया चेंज होगी जैसे-जैसे नेचर ऑफ़ जॉब चेंज होगा और जैसे-जैसे पता चलेगा कि ये करने से पैसा बनता है। लोग करेंगे वो। हम अच्छी चीज ये है कि हमारे समाज में अभी भी शिक्षा को नॉलेज को सबसे ऊपर रखा जाता है। तो एंड ऑल ऑफ़ दिस इज़ आप देखोगे तो ये जो रिवोल्यूशन है ये नॉलेज और शिक्षा के ऊपर ही बना हुआ है। तो इट्स ये वाला पार्ट अगर आपका बहुत स्ट्रांग है तो ही फिर आप कर सकते हो। और मुझे मतलब दैट्स अ गुड थिंग दिस सोसाइटी दैट दैट रिस्पेक्ट्स इंटेलिजेंस। ये एजुकेशन वाला पार्ट आई थिंक बहुत इंपॉर्टेंट है क्योंकि हम जरूर मानते हैं इस चीज को कि इसकी वजह से ही है बट एक कॉन्ट्ररी थॉट यह भी है कि बहुत कुछ इसकी वजह से नहीं भी है। हम राइट? क्यों इसी देश में से कुछ लोग सिलिकॉन वैली जा पा रहे हैं। यहां बैठे बड़ी-बड़ी कंपनीज़ बना पा रहे हैं और उसी एजुकेशन सिस्टम से निकले लोग नहीं कर पा रहे। सो आई विल कम टू दैट। बट वापस उस चीज पे आ रहा हूं। डेमोग्राफिक डिविडेंड जो हमने कहा कि यूथ इस टाइम यूथ कैपिटल ऑफ वर्ल्ड हम हैं। हम और बहुत इंपॉर्टेंट पॉइंट आपका था कि या तो भारत इसमें जीतेगा या रेवोल्यूशन को हम लीड करेंगे और अगर हमने राइट टाइम पे चैनलाइजेशंस नहीं करी राइट स्टेप्स नहीं लिए अपने आप को उस लेवल पे स्किल अप नहीं किया तो हम नहीं कर पाएंगे। राइट? आई थिंक ये हार्डवेयर एंड पे मैन्युफैक्चरिंग वाला एक बहुत बड़ा क्वेश्चन है जो हम ऑप्टिमिस्टिक हैं। लेकिन लेट्स सी सॉफ्टवेयर एंड पे हम हमें क्या करना होगा? टेक एंड पे नॉलेज एंड पे या सॉफ्टवेयर एंड पे हमें क्या करना होगा? टू मेक श्योर कि भारत जीते। हम देखिए एक दो चीजें तो खुद से हो रही हैं। जैसे कि पूरी दुनिया को ये समझ में आ रहा है कि इंडिया में टैलेंट बहुत अच्छा है। हम एंड जो चीजें उनको बनानी है फॉर द नेक्स्ट एआई जर्नी फॉर द नेक्स्ट डे जर्नी वो अफोर्डेबल कॉस्ट में अच्छा टैलेंट इंडिया में मिलता है। तो आप देखेंगे अगर ट्रेंड एक टर्म होता है जीसीसी ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स। तो जितने भी बड़े-बड़े बैंक हैं, बड़ी-बड़ी कंपनीज़ हैं, वो अपने टैक्स सेंटर धीरे-धीरे इंडिया में स्टार्ट कर रहे हैं। एंड वो अपने बाकी टैक्स सेंटर्स बंद ही कर रहे हैं। वैसा ट्रेंड होना स्टार्ट हो गया है। एंड वो वो नंबर हर साल बढ़ता जा रहा है। तो द नंबर ऑफ़ जीसीसी इन इंडिया व्हिच आर गोइंग टू एंप्लॉय अ लॉट ऑफ इंजीनियर्स। दैट विल ओनली इंक्रीस विद टाइम। इसको एग्जांपल के साथ आप कुछ बता सकते हो? जैसे कि बहुत सारे इंटरनेशनल बैंक्स जो हैं बाकलेस एचएसबीसी कोमनसा जेपी मॉ्गन एट्रा एसेट्रा इन सब में अगर आप ट्रेंड वाइज देखेंगे तो द परसेंटेज इंजीनियरिंग पपुलेशन इन इंडिया हैज़ ओनली बीन इंक्रीजिंग ईयर ओवर ईयर मतलब उनके जितने भी इंजीनियर्स हैं उनमें वो प्रतिशत जो कि इंडिया में है वो बढ़ता जा रहा है ईयर ओवर ईयर इनफैक्ट कुछ-कुछ बैंक्स तो ऐसे हैं जिनका मैं नाम नहीं ले सकता लेकिन उनका ग्लोबल सेंटर्स जो हैं इंजीनियरिंग के वो ऑलमोस्ट बंद हो गए हैं। डबल डिजिट में इंजीनियर्स हैं उनके पास आउटसाइड ऑफ इंडिया बट यहां पे सैकड़ों इंजीनियर्स हैं। वैसा हो गया है। बिकॉज़ उनको भी समझ में आता है कि जो अच्छी क्वालिटी का टेक बनाना है उसके लिए जो टैलेंट चाहिए वो यहां पे अवेलेबल है। हम और बहुत हाई कॉस्ट पे भी नहीं है। हम तो इट मेक्स सेंस टू हैव प्रेजेंस हियर। राइट? तो एक वो ट्रेंड स्टार्ट हो गया व्हिच इज़ अ गुड ट्रेंड। हम तो उससे भी इकोसिस्टम बनता है कि जैसे मैं एक स्टार्टअप मुझे अगर इंजीनियर चाहिए तो मुझे पता है कि वहां पे एक इंजीनियर है वहां से यहां ले आओ खींच के इट्स एन इकोसिस्टम राइट तो वो एक अच्छी चीज हो रही है आई थिंक दूसरा अनफॉर्चुनेटली और फॉर्चुनेटली अभी तक जितनी भी कंपनीज़ बनी है हमारे इकोसिस्टम में वो थोड़ी सी ब्रोकरिंग टाइप की कंपनीज़ हैं जिन्होंने कुछ इनोवेशन किया है हम कि देयर इज़ डिमांड मार्केट प्लेस देयर इज़ अ सप्लाई मार्केट प्लेस। मैं बीच में बैठा हूं और मतलब मैं कुछ इनोवेशन करके आई हैव बीन एबल टू मेक इट वर्क। Ola, Flipkart, एवरीथिंग सॉर्ट ऑफ़ गोज़ इन दैट कैटेगरी। आई हैवेंट नेसेसरीली पिक्ड द टेक प्रॉब्लम टू सॉल्व। बिकॉज़ इंडिया में ये प्रॉब्लम पहले सॉल्व करनी है। अ आई थिंक द नेक्स्ट सेट ऑफ़ कंपनीज़ दैट जो इंडिया से क्रिएट होंगी। हम हम वो वो होंगी जो कि इंडिया में रह के बाहर के लिए प्रोडक्ट्स बना रही हैं। बिकॉज़ विद ए वो जो मैं बता रहा था आपको बहुत सारे स्पेशलाइज्ड यूज़ केसेस कि जो वर्टिकल यूज़ केसेस बनाने हैं वो बहुत सारे बनेंगे। हम तो बहुत सारी ऐसी कंपनीज़ होंगी 10 लोगों की, 20 लोगों की, 30 लोगों की कंपनी है जो कि लेट्स से यहां बैठ के यूएई में किसी कंपनी के लिए एक पर्टिकुलर डिपार्टमेंट के लिए सॉल्व कर रही है। तो उस टाइप की बहुत सारी कंपनीज़ बनेंग और उसको एंड मैं होप करता हूं कि वो एक्सलरेट हो के बहुत ज्यादा बने। यूरोप में फॉर एग्जांपल बहुत सारी कंपनीज़ हैं। उनके कुछ पर्टिकुलर यूज़ केसेस को यहां से सॉल्व किया जा रहा होगा। सो दैट वी नीड टू डू मोर एंड मोर ऑफ। देयर इज अ बिग डिबेट कि हमारा खुद का एक एलएलएम मॉडल होना चाहिए क्या? मुझे ये लगता है कि नहीं भी है तो ठीक है। एज लॉन्ग एज हमें अच्छे से समझ में आता है एलएलएम मॉडल्स चलते कैसे हैं? इट्स अ वै एक्सपेंसिव अफेयर टू एक्चुअली क्रिएट अ एलएम मॉडल व्हिच इज़ वैरी इफेक्टिव। बहुत सारा डेट बहुत सारा प्रोसेसिंग पावर चाहिए। वो नहीं भी है बट अगर उसको लेवरेज करके हम सही चीजें बना पाते हैं तो बहुत सारे ओपन सोर्स एलएनएम मॉडल्स भी हैं तो उनको भी यूज़ करके अगर हम चीजें बना पाते हैं दैट आल्सो इज़ इज़ गुड इनफ आई थिंक जो आपने बोला है ना उसके अंदर एक आई आई एम श्योर एवरीवन इज़ एबल टू अंडरस्टैंड कि कितना बड़ा पोटेंशियल नजर आ रहा है। आई मीन आई एम सो हैप्पी टू हियर आपने जो इनसाइट्स दिए हैं कि पूरी दुनिया में उनको भी अपनी प्रॉब्लम सॉल्व करनी है। उनको भी एआई इंटीग्रेट करना है। उनको भी टेक से मतलब अगर फिनलैंड में कुछ चीज मूव हो रही है उसको एआई से रिप्लेस करना है उनको कोई प्रॉब्लम्स है जो एआई से सॉल्व करनी है एंड नॉन एआई आल्सो टे टेक उनको भी चाहिए हर देश को चाहिए 200 से प्लस कंट्रीज हैं हम एंड हमारे पास वो पोटेंशियल है क्योंकि टैलेंट ऑलरेडी हमारे पास हम है जो ऑलरेडी अनलॉक कर रहा है टेक में एआई में मचा रहा है हम और बिज़नेसेस यहां बन सकते हैं क्योंकि एवरीथिंग कैन बी डन रिमोटली हम तो द काइंड ऑफ़ अपोरर्चुनिटीज़ व्हिच विल ब्लो अप हम्म हम इज हज यस राइट तो अगर इस वेव में कोई जाता है इस इस रास्ते जाता है तो आई थिंक बहुत स्ट्रांग ओपोरर्चुनिटीज का एक वेव एक सुनामी हम आई कैन सेंस जो आ रही है बिल्कुल बिल्कुल राइट अब जहां मुझे लगता है कि दिक्कत होगी हम राइट हम बात कर रहे हैं टेक ब्रेन की हम बात कर रहे हैं कि हमारे पास टैलेंट है बट स्टैटिस्टिकली इंडिया में हर साल अगर 15 लाख इंजीनियर निकलता है हम और रिपोर्ट्स कहती है कि उसमें से सिर्फ 10 20% एंप्लॉयबल होता है। 80% के पास तो जॉब नहीं है। हम राइट? सो जॉब्स एक्सिस्ट नहीं कर रही कि हमारे पास वो क्वालिटी ऑफ़ इंजीनियर्स या क्वालिटी ऑफ़ आउटपुट नहीं है जो उन जॉब्स के लायक हो। वहां गैप कहां है? देखिए उसके लिए ना थोड़ा सा हिस्ट्री में देखना पड़ेगा कि हुआ क्या है। अगर आप देखेंगे तो ये जो ब्लो अप हुआ था इन द डिमांड फॉर इंजीनियरिंग टैलेंट ये स्टार्ट हुआ कुछ 2000 2001 के आसपास एकदम से मतलब टीसीएस वगैरह भी एक ट्रेजरी पे थे एकदम से वो उनकी ट्रेजरी भी चेंज हो गई कि नाउ दे नीड अ लॉट ऑफ इंजीनियर्स अब इतने सारे इंजीनियर्स चाहिए और तब तो सिर्फ आईआईटीस थे एनआईटीस थे तो वो इतने इंजीनियर्स प्रोड्यूस भी नहीं कर सकते बट सबको इंजीनियर बनना है तो फिर इंस्टट्यूट्स खुलना स्टार्ट हुए और धड़ल्ले से इंस्टट्यूट खुलना स्टार्ट हुए। ठीक है? यूजीसी है और एआईसीडी है। उन्होंने कुछ-कुछ कंट्रोल्स लगा रखे थे। लेकिन सही बताऊं तो आप इतने इस इस तरीके से इंस्टट्यूट्स नहीं स्केल कर सकते क्वालिटी। तो उसका रिजल्ट यह है कि मोस्ट इंस्टट्यूट्स जो हमारे इकोसिस्टम में हैं वहां पे ना तो जो इंस्टट्यूट का फाउंडर है उसको टेक आता है। हम वहां पे जो मोस्ट टीचर्स हैं उनको भी टेक नहीं आता है। तो वो कहां से इंजीनियर्स प्रोड्यूस करेंगे? मेरा खुद का एग्जांपल है। मेरा एक भाई है। मतलब मैं बेचारे को एग्जांपल बार-बार लेता हूं। लेकिन मुझे एक एग्जांपल बताता था कि वो उसका कोडिंग का एग्जाम है और कुछ पैेंड्रोम कोड आएगा एग्जाम में बताया हुआ है मास्टर जी ने और उन्होंने बोला है कि याद करके आ जाना बिकॉज़ वो एज इट इज़ लिखना है तो या फिर मतलब वो हर हर टियर टू टियर थ्री सीडी में एक मार्केट होता है जहां पे आपको प्रोजेक्ट्स और असाइनमेंट्स मिल रहे होते हैं। बिकॉज़ ये कर दोगे तो मार्क्स मिल जाएगा। आप पास हो जाओगे और वैसे भी वो एनवायरमेंट नहीं है कॉलेज के अंदर कि भाई कुछ सीखना है कुछ करना है। तो उसका हिस्ट्री वही है कि जो हमारा थ्रूपुट था इंजीनियर्स का वो हजारों से लाखों में चेंज हुआ। बट उस प्रोसेस में जो ये बीच में बड़े सारे इंस्टीट्यूट्स बने उनमें से कोई भी बहुत सारे काम के नहीं थे। विदाउट द राइट काइंड ऑफ़ टीचर्स विदाउट द राइट काइंड ऑफ़ कल्चर जिसकी वजह से ये हुआ। दूसरा मुझे ये लगता है कि टेक स्पेसिफिकली जैसे मैं एआईएमएल की भी बात कर रहा हूं तो ये सब जो हुआ है ये सब पिछले दो साल का फिनोमिनना है। हम ट्रांसफार्मर्स मे बी पहले के लेकिन बहुत सारा जो ये स्पीड में डेवलपमेंट हो रहा है पिछले दो साल में हुआ है। हम तो टेक बहुत जल्दी-जल्दी चेंज होता है। और उस केस में होता क्या है कि इफ आई एम जस्ट एकेडमिक मैं कुछ बना नहीं रहा हूं। हु आई एम नॉट देयर तो मेरे लिए ये चीजें चीजों के साथ पेस मेंटेन करना कर पाना हार्ड हो जाता है। अ तो काफी बार लाइक हैविंग सम डिग्री ऑफ़ प्रैक्टिशनर्स कि जो लोग खुद थे इन कंपनीज़ में बना रहे थे उनका कि इस इकोसिस्टम में पढ़ाने के इकोसिस्टम में होना जरूरी है। हम अ अनफॉर्चुनेटली हमारे टीचर्स को उतना अच्छा पे किया नहीं जाता। तो वो क्यों आएंगे वापस? तो उसको खैर हम सॉल्व करने की कुछ-कुछ कोशिश कर रहे हैं। स्केलर स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी करके हम चलाते हैं अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम चार साल का। वहां पे हमारा थीसिस तो यही है कि प्रैक्टिशनर्स को ही पढ़ाना चाहिए। तो जो लोग पहले Google में काम करते थे, Amazon में काम करते थे, Facebook में काम करते थे। उन लोगों को हम लेके आते हैं। जो मैंने आपको प्रसन्ना का एग्जांपल दिया। अमोद है। अमोद Flipkart के पहले सीटीओ थे। उड़ान करके कंपनी उसके फाउंडर हैं। इनफैक्ट एक कंपनी है कोडियम करके जो कि अभी ओपन आई ने खरीदी है 4 बिलियन डॉलर में। उनके जो फाउंडर हैं उस टाइप के लोगों को हम कैंपस में ले आके बच्चों को मेंटर करवाते हैं। सो दैट उनको समझ में आए कि चल क्या रहा है इस साइड पे। सो इट्स लाइक अगर रोहित शर्मा बैटिंग सिखा रहा है वर्सेस कोई पीटी टीचर बैटिंग सिखा रहा है वो वाला डिफरेंस वो आप गैप को मीट कर रहे हैं। वो मीट प्रैक्टिशनर्स राइट प्रैक्टिशनर्स का होना जरूरी है। तो तो वो वी ट्राई टू डू एज़ मच एज़ पॉसिबल। एंड मुझे लगता है कि मतलब द रीज़न वी डू दिस इज़ नॉट बिकॉज़ कि हम बोले देखो हम सबसे अच्छे हैं। वी वांट टू सॉर्ट ऑफ़ क्रिएट अ टेंपलेट कि भ देखो अगर नई दुनिया में अगर ऐसे पढ़ाया जाएगा ये इकोसिस्टम होगा तो चीजें चलेंगी। एंड एंड मतलब उस आई एम हैप्पी कि काफी लोग उसको कॉपी भी करने की कोशिश कर रहे हैं। मतलब उससे अच्छा ही होगा अगर बहुत लोग कॉपी करते हैं। मैं ना डिटेल में समझना चाहूंगा कि आपने बिकॉज़ इट्स वेरी इंस्पायरिंग। मुझे आप आपका जब मैंने स्टोरी पढ़ा तो वो स्वदेश वाला मूवी पूरा याद आ रहा था कि एक अच्छी खासी जॉब आपके पास थी। बाहर थे यू आर इन यूएस एंड यू केम हियर पर्सुइंग अ ड्रीम। सो आई विल ट्राई टू अंडरस्टैंड आपने क्या प्रॉब्लम ढूंढी और कैसे उसे सॉल्व कर रहे हो। सो आई विल टेक अ नोट हम लेकिन जो हम एजुकेशन सिस्टम की बात कर रहे थे वहां पे एक मुझे चीज समझ आती है कि जो फर्स्ट चीज आपने बोली थी व्हिच वाज़ प्रैक्टिशनर्स नहीं है वहां पे। नहीं फर्स्ट चीज थी कि जो मशरूम ग्रोथ हुई राइट? हम सो इवन आई कैन रिलेट के जब हम ट्रेवल करते हैं और अगर सहारनपुर चले जाऊं तो छ से सात इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। सोनीपत की तरफ चले जाऊं चार से पांच है। मतलब इस लेवल पे हर सिटी में कई सारे कॉलेजेस हैं। क्या इस लेवल इतनी फैकल्टीज हैं हमारे पास कि उनको रियल इंजीनियर बना पाए। सो प्रोबेब्ली वी आर प्रोड्यूसिंग लॉट ऑफ़ इंजीनियर्स बट नॉट क्वालिफाइड इंजीनियर्स। यस। राइट? इंजीनियर व क्वालिफाइड इंजीनियर वाला। और एंड वहां पे बार थोड़ा और ऊपर होता जा रहा है। जो मैं आपको बोल रहा था ना कि पहले फिर भी मिडियकर इंजीनियर्स या फिर सुपरफिशियल इंजीनियर्स के लिए फिर भी जॉब्स थी। धीरे-धीरे जैसे-जैसे ये बेटर होता जाएगा आपको द वर्ल्ड विल ओनली वैल्यू पीपल हु आर डीप। राइट? राइट? वो सुपरफिशियल की भी जॉब्स जाना स्टार्ट हो जाएगी। एंड दैट्स गोइंग टू बिकम अ प्रॉब्लम अगर हमारे इंस्टट्यूट्स उस तरीके से चेंज नहीं होते। राइट? मैं इस चीज से इसलिए बहुत रिलेट कर पाता हूं बिफोर वर्किंग विद कॉर्पोरेट्स जो कि मैंने शायद 2014-15 में इंक्रीस किया। उससे पहले तीन-चार साल मैं कॉलेजेस में ट्रेनिंग्स देता था। की नोट्स एंड पर्सनालिटी डेवलपमेंट ट्रेनिंग्स। तो बहुत फ्रीक्वेंट मेरा कॉलेज में जाना होता था। स्पेशली इंजीनियरिंग कॉलेज उनके प्लेसमेंट से पहले वो मेरे से सेशंस करवाते थे। और उनका आई आई मीन ऑनेस्टली बता रहा हूं। मैंने एक दो बार शेयर भी किया एक्सपीरियंस के एक स्टूडेंट इंट्रोडक्शन भी नहीं दे पा रहा अपनी। टेल मी अबाउट योरसेल्फ पे भी उसने रट्टा लगाया। अगर मैंने थोड़ा सा क्वेश्चन ट्वीट कर दिया तो वो आंसर नहीं कर पा रहा। अगर उसको मैंने पूछा कि व्हाट डिड यू हैव इन लंच? तो उसको नहीं समझ आ रहा इस सवाल का मैंने क्या जवाब देना है। लंच कहां से पूछ लिया इन्होंने। एंड नॉलेज वाइज भी, प्लेसमेंट वाइज भी। हर जगह मैं बहुत सारे चैलेंजेस देखता था। और बहुत फील होता था मुझे कि एंड आई यूज्ड टू मीट टीचर्स आल्सो। हम और तब भी मैं देखता था क्योंकि कॉलेज के पास एडमिशन है तो उनको किसी तरीके के टीचर्स रखने हैं। दे हैव टू हैव अ टीचर सो दैट बैच को पढ़ा पाए। एंड अनफॉर्चूनेट पार्ट के जो उस उन कॉलेजेस के ओनर्स थे मेजॉरिटी ऑफ़ देम को कोई लेना देना ही नहीं था विद दिस कि क्या आउटपुट है क्या इंजीनियरिंग है उनके लिए इट वाज़ प्योर फॉर्म ऑफ़ बिज़नेस और मे बी ब्लैक को वाइट करने का एक तरीका था। आई रिमेंबर अ वेरी सीनियर आईआईटीएन मैं कॉलेज का नाम नहीं लूंगा। उनके साथ बैठा था एंड ही शेयरर्ड ह फ्रस्ट्रेशन आउट विद मी कि मैंने इतने साल मैंने आईआईटी पास आउट हूं। उसके बाद मैंने कई साल आईआईटी में पढ़ाया है। अब मैं यहां पे डीन हूं और मुझे रिपोर्ट रोज देनी पड़ती है जो ईंटें बनाने वाले भट्ठे का ओनर है उसको क्योंकि उसके लिए इट्स जस्ट इन्वेस्टमेंट ऑफ़ मनी कि कॉलेज खुल रहे हैं तो खोल लें। हम हम सो मशरूम ग्रोथ एक रीज़ हुआ। प्रैक्टिशनर्स नहीं है जो पढ़ा रहे हैं उनको रियल लाइफ से कोई लेना देना नहीं है। सेकंड रीज़न हुआ। एक चीज़ मैंने और फील करी थी। लेट मी नो इफ इट इज़ करेक्ट ऑ नॉट करिकुलम हम मुझे स्टूडेंट्स कहते थे कि हमें जो पढ़ाया जा रहा है वो 10 15 साल पुराना है। आई एम डोंट नो अभी भी ऐसा है कितना पुराना है बट टेक तो हर महीनों में चेंज हो रहा है। तो अब तो शायद पांच साल पुरानी चीज भी उतनी रेलेवेंट नहीं होगी। इज़ इज इट स्टिल अ प्रॉब्लम? इट इज़ अ प्रॉब्लम। इट इज़ अ प्रॉब्लम। देखिए उसको भी मुझे कैसा लगता है ना उसको मैं दो तीन पार्ट में ब्रेक करूं तो आपके किसी भी सब्जेक्ट के कुछ फंडामेंटल्स होते हैं। जैसे मैथ में अलजेब्रा हमेशा अलजेब्रा ही रहेगा। वो नहीं चेंज होता है। तो वो फंडामेंटल्स नहीं चेंज होते हैं। जो कि मैं बोलूंगा प्रोब्ली इज़ 20 टू 30% ऑफ़ द करिकुलम। तो वो अभी भी है लेकिन अब उसको पढ़ाने का तरीका बड़ा ही थ्योरेटिकल है। जैसे अगर मैं आपको हिस्ट्री पढ़ाऊं और आके बस मैं बुक पढ़ना स्टार्ट कर दूं तो आपको अच्छा नहीं लगेगा हिस्ट्री सीखने में। वहीं जब आप एक टीवी सीरीज देखते हो उस हिस्ट्री के ऊपर उसको अच्छी स्टोरी टेलिंग होती है तो आपको सारी चीजें याद रहती है। गेम ऑफ़ थ्रोन्स लोगों को ज्यादा पता है। कंपेयर टू आवर मुगल एंपायर। तो वो वो डिफरेंस है। तो वो पार्ट तो फिर भी ठीक है। सेम है। देयर इज़ नथिंग रोंग विथ दैट। थोड़ा एप्लीकेशन ओरिएंटेड होना चाहिए। इज़ व्हाट आई वुड चेंज। बट जो बचा हुआ 60-70% ऑफ करिकुलम है जो कि शुड इवॉल्व एज द वर्ल्ड इज़ इवॉल्विंग। वहां पे मुझे बहुत गैप दिखता है। कुछ इंस्टट्यूट जस्ट फॉर नेम सेक कि अच्छा आजकल ब्लॉकचेन बड़ा फैंसी दिख रहा है। तो मैं ब्लॉकचेन पे एक कोर्स ऐड कर देता हूं। विदाउट गोइंग और अंडरस्टैंडिंग ब्लॉकचेन होता क्या है? उसके लिए प्रीरिजिट्स क्या होंगे? उसके लिए एक्सरसाइजज़ कैसी होंगी? वो करा देते हैं। जिससे हेल्प होती नहीं है। तो तो वो मुझे गैप दिखता है। बिल्कुल सही बोल रहे हो आप कि करिकुलम में भी गैप है। हमारा करिकुलम एक्चुअली 15 साल पुराना है। तो टीचर्स में भी प्रॉब्लम है। एंड दैट इज व्हाई हर कंपनी जो अगेन अब दूसरा प्रोस्पेक्ट इससे ज्यादा मैं नहीं बोलूंगा। नहीं तो नीचे कमेंट्स आएंगे। थैंक यू अंशुमन फॉर इनवाइटिंग मी ऑन द पॉडकास्ट। लेकिन क्योंकि मैं रिलेट कर पा रहा हूं। मैं सीधा 2012-13 में पहुंच गया हूं। उसके बाद जब मैं कॉर्पोरेट में गया तो व्हाट आई हर्ड फ्रॉम कॉर्पोरेट वाज़ हमें हर ग्रेजुएट को ट्रेन करना पड़ता है। सो वी हैव टू स्पेंड मनी, रिसोर्सेज, एनर्जी इन ट्रेनिंग देम। हम राइट? तो इट मींस कि वो रेडी फॉर कॉर्पोरेट भी नहीं है। तो हमारी डबल एनर्जी ही लग रही है एक इकोसिस्ट। सो आप भी सेम इकोसिस्टम एक्सिस्ट करते हो। आप इस प्रॉब्लम को कैसे सॉल्व कर रहे हो एज स्केलर? हम तो हम अभी जो अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम चलाते हैं मैं उस पे थोड़ा सा वेरी क्विकली ब्रीफ दे देता हूं। हमने दो साल पहले स्टार्ट किया था। दो साल पहले हमारा पहला इंटेक आया था। अ फिलॉसफिकली डिफरेंस ये है कि प्रैक्टिशनर्स पढ़ाएंगे। हम करिकुलम जो है कंपनी से बात करके फिर एक तरीके से हम बनाते हैं। तो वी हैव अ पैनल ऑफ करिकुलम एडवाइज़र्स व्हिच आर इंडस्ट्री लीडर्स फ्रॉम फ्रॉम ऑल ओवर द वर्ल्ड। उनसे कंसल्ट करके करिकुलम बनता है कि क्या पढ़ना पढ़ाना चाहिए। इनफैक्ट वो भी इवॉल्व होता है। तो हाई लेवल डायरेक्शनल सेट्स हैं बट द करिकुलम इवॉल्व्स बेसिस व्हाट इज़ेंट। जैसे फॉर एग्जांपल बीच में एआरवीआर बिकम वेरीेंट। तो वी ड अ कोर्स ऑन एआरवीआर इमीडिएटली सो दैट पीपल कैन स्टार्ट मेकिंग थिंग्स ऑन टॉप ऑफ़ एआरवीआर। तो हमने प्रैक्टिशनर्स करिकुलम। तीसरा इनोवेशन व्हिच इज कि हाउ डू वी मेक श्योर कि बच्चों के पास जो लीडर्स हैं और जो इंडस्ट्री में हो रहा है उसका एक्सेस है। सो दैट आप उस डायरेक्शन में सोच रहे हो, सीख रहे हो और सोच रहे हो और जब भी कुछ बना सको आप बना रहे हो। तो देयर इज़ एन इनोवेशन लैब जहां पे यू बेसिकली हैव थ्री फोर डिवीज़ंस रोबोटिक्स का एक डिपार्टमेंट है। देयर इज़ अ डिपार्टमेंट ऑन ऑन एआई एंड मशीन लर्निंग। देयर इज़ अ डिपार्टमेंट ऑन आईओटी। इज़ अ डिपार्टमेंट ऑन एआरबीआर। आप किसी भी डिपार्टमेंट को जॉइ करके इफ यू हैव अ गुड आईडिया यू कैन स्टार्ट वर्किंग ऑन इट। देयर इज़ अ डिपार्टमेंट ऑन ड्रोनस फॉर एग्जांपल। तो वी ब्रिंग ऑल ऑफ़ दिस टुगेदर। एंड स्टूडेंट अटेंशन के लिए मतलब वी ट्राई टू मेक श्योर कि वी हैव मेंटर्स जो कि इंडस्ट्री के ही लोग हैं। कुछ बैच सक्सेस मैनेजर्स टाइप के लोग जो कि बच्चों के साथ रहें। जूनियर फैकल्टी टाइप के हैं। जिनसे कि बच्चे अपनी प्रॉब्लम शेयर कर सकें। एंड सुपर मेंटर्स जो कि टाइम टू टाइम मतलब अगेन लीडर्स फ्रॉम द इंडस्ट्री टाइम टू टाइम कम टू द कैंपस मे बी स्पेंड अ डे एंड देन देन सॉर्ट ऑफ़ गो बैक सो दे आर लाइक दीज़ आर कैंपस प्रोग्राम्स ऑनलाइन प्रोग्राम्स कैंपस प्रोग्राम्स सो दिस इज़ फुल्ली रेजिडेंशियल चार साल आप कैंपस में रहते हो और वहां सीखते हो वो सेम चीज राइट कि अच्छे लोग अगर एक जगह आप लेके आ जाते हो बहुत ही स्मार्ट लोग हम तो लोग एक दूसरे से भी बहुत सीखते हैं और वो सीनियर जूनियर वाला भी होता है कि आप सीनियर से बहुत सारा कुछ सीखते हो वेरी सिमिलरली मतलब एक्चुअली हमारी जर्नी ये रही कि बिफोर इवन स्टार्टिंग दिस अभी भी हम एक बहुत लार्ज प्रोग्राम्स रन करते हैं ऑनलाइन में ओके व्हिच आर लाइक 12 टू 18 मंथ प्रोग्राम जिसमें मतलब अनलाइक मोस्ट अदर ऑनलाइन प्रोग्राम्स वी बिलीव इन कि वी कैन ट्रांसफॉर्म पीपल फ्रॉम वेयर दे वर तो उसका भी जो ग्रेजुएटेड सेट ऑफ पीपल है टुडे दे वर्क अगेन अक्रॉस मोस्ट टेक कंपनीज़ इन इंडिया इनफैक्ट लाइक आवर बिगेस्ट बेस्ट एंप्लयर्स हैव बीन कंपनीज़ लाइक Google और Microsoft और Amazon और और Facebook तो इन जगहों पे ठीक-ठाक प्रेजेंस है एलुमिनाई का। तो अगेन लाइक इट्स हेल्पफुल नाउ इन द इन इन बोथ कॉन्टेक्स्ट ऑनलाइन एंड ऑफलाइन दोनों प्रोग्राम में कि वो जो एलुमिनाई सेट होना चाहिए वो वहां प्रेजेंट है। सो आई एम जस्ट ट्राइंग टू अंडरस्टैंड। अभी हमारा ऑफलाइन प्रोग्राम है जिसमें टू इयर्स हो गए हैं। राइट? हम एंड इससे पहले ऑनलाइन प्रोग्राम्स थे व्हिच वर लाइक 6 मंथ 12 मंथ्स 18 मंथ्स शायद आपने बोला है ना 12 और 18 महीने 12 महीने 18 महीने का वो कितना टाइम कब से है वो वाला वो है 2019 से अभी से छ साल हो गए ऑलमोस्ट ओके सो नाउ व्हिच व्हिच आई वास सेइंग के आपकी कहानी क्या है वेयर डिड यू स्टार्ट फ्रॉम एंड उसके बाद कैसे आपको ये आइडेंटिफाई किया आपने कि मुझे ये प्रॉब्लम सॉल्व करनी है बट थोड़ा पीछे जाते हैं व्हाट इज योर बैकग्राउंड। सो मैं हूं यूपी का बाय द वे। माय माय डैड इज फ्रॉम आजमगढ़। वो एक गवर्नमेंट सर्विस में थे। तो उनका बार-बार ट्रांसफर होता रहता है। तो आई हैव लिव्ड इन अ लॉट ऑफ़ सिटीज। फाइनली पढ़ाई-वढ़ाई के लिए उन्होंने बोला कि तुम लोग लखनऊ में रहो। तो फिर देन हम लखनऊ शिफ्ट हो गए। नाइंथ क्लास ऑनवर्ड्स आई वाज़ इन लखनऊ। एंड लाइक एवरीबडी इन लखनऊ। मैं सिटी मंटेसरी स्कूल करके एसएमएस वहां पे पढ़ा हूं। एंड अह फिर आई गॉट एडमिटेड इंटू ट्रिपल आईटी हैदराबाद कंप्यूटर साइंस। अम थोड़ा चुल थी अंदर से तो अह एक इंटरनेशनल कंपटीशन होता है आईसीपीसी करके तो उसमें मतलब कॉलेज लेवल पे बहुत सारे लोग पार्टिसिपेट करते हैं। फिर नेशनल लेवल पे जाते हैं। फिर फाइनली इंडिया को रिप्रेजेंट करने आप बाहर जाते हो। तो वहां पे लगातार दो बार दो इज़ द मैक्सिमम टाइम यू कैन रिप्रेजेंट इंडिया। तो आई हैड रिप्रेजेंटेड इंडिया ट्वाइस बैक टू बैक। एंड उसी प्रोसेस में आई गॉट हायर्ड बाय Google एंड Facebook एंड Facebook एक साथ हां नहीं मतलब एक साथ पहले Google का ऑफर आया फिर बाद में Facebook का ऑफर आया सेम स्पैन ऑफ़ टाइम सेम स्पैन ऑफ़ टाइम फॉर देयर सिलिकॉन वैली ऑफिस अच्छा तो एंड दिस वास द फर्स्ट टाइम राइट रेन अ वे Google वो फिर भी इंडिया से हायर करती थी सिलिकॉन वैली ऑफिस के लिए Facebook के लिए दिस वास द फर्स्ट टाइम दैट उन्होंने किसी को इंडिया से हायर किया था डायरेक्टली ये कैंपस आपके कैंपस ने नहीं किया था वो तो वही कि अब आईसीपीसी के लिए हम लोग गए थे स्टॉकहोम स्टॉकहोम में उनके रिक्रूटर्स मिल गए तो फिर उन्होंने बोला अप्लाई कर लो तो अप्लाई कर लिया फिर देन इंटरव्यू हुआ एंड देन वी गॉट सिलेक्टेड तो Google Facebook दोनों से ऑफर था फाइनली जॉइन Facebook बिकॉज़ छोटी कंपनी थी अगेंस्ट द विशेस ऑफ़ माय पेरेंट्स ये किस ईयर की बात होगी ये है 2009 2010 की बात था जब Google एक बड़ा नाम था और Facebook छोटा नाम था। तो आपने Google छोड़ के Facebook क्यों ज्वाइन किया? मुझे कन्विक्शन ज्यादा था बिकॉज़ मुझे लगता था कि एक छोटी टीम है। मतलब उस टाइम पे 200 250 इंजीनियर्स थे Facebook में। जबकि Google में 500 इंजीनियर्स थे। तो फिर ये था कि यहां पे यू कैन डू अ लॉट मोर। पेरेंट्स को लगता था कि अनसेफ ऑप्शन है बिकॉज़ ऑर्कुट करके एक कंपनी हुआ करती थी तब वो बंद हो गई थी। तो उनको लगता था कि अरे भी सोशल मीडिया है बंद हो जाएगा। दो साल की बात है। तो Google में जाओ इट्स सेफ। बट बट आई वांटेड टू वर्क एट Facebook। सो मुझे उनका टेक भी अच्छा लगता था। हम तो Facebook ज्वाइन किया 2010 में। फॉर्चूनेटली जिन लोगों के साथ मैं काम करता था वो ऐसे लोग थे जिनसे बहुत सीखने को मिला। फॉर एग्जांपल जो मेरे पहले मैनेजर थे वो कसांड्रा करके एक डेटाबेस होता है। वो उसके क्रिएटर थे। हम मेरे जो स्किप लेवल मैनेजर थे जो बाद बीच में मैनेजर भी बन गए। वो आज Facebook के सीटीओ हैं एंड्रू बॉज करके। ओके। तो आई लर्न अ लॉट फ्रॉम देम। आई ग्रू वेरी फास्ट विद इन Facebook। हम तो देन बीच में फिर ऐसा हुआ था कि Facebook के लिए मोबाइल बहुत बड़ी प्रायोरिटी बन गई। एंड विद इन मोबाइल आल्सो मैसेजिंग कि चैट एंड मैसेजिंग बिकॉज़ WhatsApp वाज़ बिकमिंग सो पॉपुलर तो दैट बिकम द हाईएस्ट प्रायोरिटी। सो आई बिकम द लीड ऑफ़ द टीम दैट वास् बिल्डिंग ऑल ऑफ़ दिस। ओके। अह तो मैसेंजर जो Facebook के अंदर था। मैसेंजर। ओके। ओके। अह तो वो किया मैंने थोड़े टाइम के लिए। गुड टू सी, मैं मतलब हम इतना यूज़ किया आज उसको मिल रहा हूं उसने वहां बैठ के बनाया है। लीड किया है इसको। वाओ! अह एंड देन उसी पीरियड में फिर देन वी एंड अप एक्वायरिंग WhatsApp. ओके। अह तो आई डीड दैट फॉर अ वाइल। उसके बाद फिर Facebook को अपना पहला ऑफर एक सॉरी एक इंटरप्शन करना होता। मतलब सो आई एंड माय वाइफ व्हेन वी गॉट टू नो ईच अदर। इट वाज Facebook Mesenger। सो, थैंक यू। ओह, आई एम रियली रियली। आई मेट समवन हु इज अ कैटलिस्ट बिहाइंड आवर एसोसिएशन। वैरी ग्लैड टू हियर। तो मुझे ये भी लगता था कि यार मतलब जो मैं कर रहा हूं वो बहुत बड़ा रॉकेट साइंस नहीं है। एंड इंडिया में एक तरीके से अगर सही पाथ दिखाया तो हर कोई कर सकता है। तो तो आई थॉट कि व्हाई नॉट मेक दैट हैपन। एंड दैट्स व्हेन सॉर्ट ऑफ़ आई मूव बैक टू इंडिया। तो आपके ब्रदर का जब आपने देखा कि वो उस टीचर्स कैसे हैं? क्वालिटी ऑफ़ एजुकेशन कैसे? दैट वाज़ वन ऑफ़ द ट्रिगर। वन ऑफ़ द ट्रिगर कि इतना बुरा तो नहीं होना चाहिए टेक एजुकेशन। स्पेशली एक ऐसे देश में जहां पे हर किसी को इंजीनियर बनना ही है। राइट? प्लस दूसरा मुझे यह भी लगा कि जो मैंने सीखा है जो मैंने किया है इतना हार्ड नहीं है। मतलब अगर लोगों को सही एनवायरमेंट दिया जाए, सही डायरेक्शन दिया जाए तो हर कोई कर सकता है। हम बहुत लोग कर सकते हैं। तो तो इसलिए मैंने सोचा ये करने का ट्राई करते हैं। तो तो उस 2014 के एंड में आई मूव्ड बैक टू इंडिया। हम एंड तब से कुछ ना कुछ इसी फील्ड में कर रहे हैं। पहले हमने एक इंटरव्यू बिट करके एक वेबसाइट स्टार्ट करी थी व्हिच वास फ्री ऑफ़ कॉस्ट। आप खुद से सीखो कोडिंग गेमिफाइड था। डुअल लिंगो टाइप का था। अभी भी चलता है। एंड फिर ये समझ में आया कि एक्चुअली इंडिया में लोगों को गाइडेंस की ज्यादा जरूरत है। वहां पे प्रॉब्लम है। कंटेंट की प्रॉब्लम नहीं है। तो फिर स्केलर स्टार्ट किया जो ऑनलाइन वाला वर्जन था। एंड रिसेंटली द रीज़न टू स्टार्ट दिस फोर ईयर अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम इज बिकॉज़ वी फ्ट कि ठीक है मतलब हम लोगों को एंप्लॉयबल बना रहे हैं इन द ऑनलाइन बट द ट्रू न्चरिंग ट्रू मतलब अगर हमें सोसाइटी चेंज करनी है तो सोसाइटी जो है टॉप के कुछ लोगों से चेंज होती है हम Apple जब प्रॉब्लम में था और स्टीव जॉब्स को वापस लेके आए थे तो स्टीव जॉब्स ने पूरी कंपनी पे ध्यान नहीं दिया तो ही आइडेंटिफाइड हु आर माय टॉप 10 टॉप 20 पीपल हम और उनको लेके ही स्टार्टेड वर्किंग ऑन व्हाट कैन वी क्रिएट नेक्स्ट व्हिच इज़ द फ्यूचर ऑफ़ Apple इंडिया को जब फ्यूचर फिक्स करना था। इनफैक्ट लाइक वन ऑफ़ द बिगेस्ट डिफरेंसेस बिटवीन इंडिया एंड ऑल इज़ नेबरिंग कंट्रीज कि इंडिया क्रिएटेड आईआईटीस हम एंड उन्होंने वो टॉप के टैलेंट पे पे फोकस किया टू नर्चर देम। तो वी रियलाइज़ किया मतलब ठीक है। वी विल कंटिन्यू डूइंग द दी स्केलर ऑनलाइन पोर्शन व्हिच इज़ वेरीेंट बिकॉज़ ओवरऑल एंप्लॉयबिलिटी इज़ेंट। थिंग्स आर सो ब्रोकन। हम् लेकिन वी आल्सो नीड टू वर्क ऑन दैट टॉप 1% टैलेंट। हम् एंड उसके लिए हैविंग वेरी क्लोज अह एसोसिएशन विथ दोज़ फॉर दोज़ फोर इयर्स इज़ इंपॉर्टेंट एंड आइडेंटिफाइंग द टॉप ब्रेनेंस देयर इज़ वेरी-वेरीेंट। एंड दैट्स हाउ एसएसटी हैपेंड। अमेजिंग ग्रेट। आपने बड़ा नॉर्मली बोल दिया कि भई मुझे प्रॉब्लम नजर आई। ट्रिगर हुआ वापस आ गया। आई एम श्योर वो रोलर कोस्टर होगा। मतलब Facebook जैसी कंपनी उस लेवल के पैकेजेस वर्किंग इन अ लीडरशिप प्रोफाइल एंड कमिंग बैक टू इंडिया मतलब मैंने बहुत लोग देखे हैं जैसे आई एम वेरी पेट्रियट मुझे बहुत प्यार है भारत से लेकिन मुझे लोग कहते हैं कि भ तुम 2 साल बाहर चले जाओ फिर तुम वापस आ नहीं पाते यू नो दैट क्वालिटी एटसे्रा एटसेक्ट्रा जो आपको मिल जाता है स्टैंडर्ड ऑफ लाइफ कह सकते हैं जो भी कह सकते हो हम तो ये तो एक फैक्टर है ऐसे कई फैक्टर्स होंगे पैकेज एक अट्रैक्शन होती है हम ओपोरर्चुनिटी िटी डर मैं कुछ नया शुरू कर रहा हूं। तो हाउ डिफिकल्ट और इजी इट वाज़ फॉर यू दिस डिसीजन? मतलब देखिए डिफिकल्ट इसलिए था बिकॉज़ देखिए हम जिस वातावरण में हम लोग का जन्म हुआ है और जिसमें पाला पोसा गया है उसमें रिस्क लेना किसी को अच्छा नहीं लगता है। हम वी आर वेरी रिस्कवर्ड्स बिकॉज़ हमारे पेरेंट्स ने वो जनरेशन देखी है जब छोटी-छोटी चीजों के लिए दिक्कत होती थी। तो सबसे बड़ा पुशबैक तो पेरेंट्स ही था कि क्यों वापस आना है। अच्छा चल तो रहा है वहां। लेकिन जब एक स्टेप पीछे लो और थोड़ा फर्स्ट प्रिंसिपल आप सोचो हम कि लाइफ में कितना ही पैसा चाहिए खुद के खुद के लिए। राइट? इज़ नॉट अ लॉट ऑफ़ मनी दैट यू नीड फॉर सर्वाइवल। एंड देन मतलब व्हाट गिव्स यू हैप्पीनेस? कहां पे ओपोरर्चुनिटी ज्यादा है। मुझे लगता है अभी भी लगता है कि वेस्टर्न वर्ल्ड में कुछ अपॉर्चुनिटीज़ हैं बट उसको सॉल्व करने के लिए सैकड़ों लोग हैं। हम ज्यादा अपोरर्चुनिटी तो यहां है। एंड यहां पे हो सकता है उतने लोग रिस्क ले भी नहीं रहे हैं। मतलब 10 साल पुरानी मैं बात बता रहा हूं। तो मुझे लगता था यार कि अपोरर्चुनिटीज भी बेटर हैं यहां पे। हैप्पीनेस आई विल फाइंड मोर हैप्पीनेस फॉर मसेल्फ बिकॉज़ आई एम गोइंग टू बी सॉल्विंग अ प्रॉब्लम व्हिच इज़ क्लोज टू माय हार्ट। जैसे मैं रिलेट कर सकता हूं। मुझे क्या फर्क पड़ता है कि एक अमेरिकन की प्रॉब्लम सॉल्व करके क्या चेंज हो जाएगा? ना मैं उसको जानता हूं, ना मैं उससे रिलेट करता हूं। तो बड़े सेल्फिश रीज़ंस थे फॉर मी टू कम बैक। हम अगेंस्ट द विशेस ऑफ़ माय पेरेंट्स बट बट लाइक आई आई एम वेरी हैप्पी दैट आई केम बैक इट गिव्स मी मोर हैप्पीनेस इस पडकास्ट में आपकी टॉप लर्निंग क्या थी नीचे कमेंट्स में जरूर बताना और यस और कौन सी आपकी प्रॉब्लम्स है जो मैं इस पॉडकास्ट के थ्रू सॉल्व कर सकूं किन टॉपिक्स पे आपको नॉलेज चाहिए किन सवालों के आपको जवाब चाहिए मुझे मेंशन करना सो दैट मैं उस तरह के गेस्ट उस तरह के एक्सपर्ट्स को इस पॉडकास्ट में ला पाऊं और उनकी नॉलेज आप तक पहुंचा पाऊं। फिर मिलेंगे अगली वीडियो में। तब तक खुश रहिए, खुशियां बांटते रहिए। आई लव यू ऑल। [संगीत]

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